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एक प्रेरक कहानी - यह कहानी एक नेकदिल महिला की है, जो हर दिन अपने परिवार के लिए रोटियाँ बनाते समय एक अतिरिक्त रोटी किसी भूखे के लिए बनाती थी और उसे खिड़की पर रख देती थी। एक कुबड़ा आदमी रोज़ रोटी लेने आता और "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो अच्छा काम तुम करोगे वह तुम्हारे पास वापस आएगा" कहकर चला जाता। उसकी बातों से परेशान होकर महिला एक दिन ज़हर वाली रोटी बनाने की सोचती है, लेकिन आखिरी वक्त पर उसे जलाकर दूसरी रोटी रख देती है। बाद में उसे पता चलता है कि उसी रोटी ने उसके बेटे की जान बचाई, जो भूखा और कमज़ोर होकर लौटा था। यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छे कर्म हमेशा हमारे पास लौटते हैं। (Kindness story, karma lesson, mother-son bond)
एक प्रेरक कहानी- एक छोटे से गाँव में सरला नाम की एक महिला रहती थी। वह हर दिन अपने परिवार के लिए रोटियाँ बनाती थी और हमेशा एक अतिरिक्त रोटी किसी भूखे के लिए बनाकर खिड़की की चौखट पर रख देती थी। वह कहती, "मेरे पास जो है, उसे बाँटने में ही सच्ची खुशी है।" उसकी यह आदत गाँव में मशहूर थी। हर दिन एक कुबड़ा आदमी, जिसका नाम रघु था, उस रोटी को लेने आता। लेकिन रघु कभी आभार नहीं व्यक्त करता था। वह रोटी उठाकर बस यही कहता, "जो तुम बुरा करोगे, वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो अच्छा काम तुम करोगे, वह तुम्हारे पास वापस आएगा।" सरला शुरू में उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करती, लेकिन धीरे-धीरे उसे चिढ़ होने लगी। एक दिन उसने अपनी सहेली कमला से कहा, "कमला, यह रघु तो आभार का एक शब्द भी नहीं कहता। हर दिन वही बात बोलता है। क्या मतलब है इसकी?" कमला ने हँसते हुए कहा, "सरला, तू तो नेक काम कर रही है। उसे जो कहना है, कहने दे। तुझे उसकी परवाह क्यों?" लेकिन सरला के मन में गुस्सा पनपने लगा। (Kindness habit, ungrateful man, village tale)
गुस्से में लिया गया फैसला (A Decision Taken in Anger)
कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। एक सुबह, सरला का गुस्सा चरम पर पहुँच गया। उसने रसोई में रोटी बनाते हुए खुद से कहा, "हर दिन वही बात! न आभार, न शुक्रिया! आज मैं इसे सबक सिखाऊँगी।" उसने एक रोटी में ज़हर मिला दिया और सोचा, "आज यह कुबड़ा अपनी अकड़ भूल जाएगा।" लेकिन जैसे ही वह रोटी को खिड़की पर रखने वाली थी, उसके हाथ काँपने लगे। उसने खुद से कहा, "यह मैं क्या कर रही हूँ? मैं तो दूसरों की भलाई के लिए रोटी बनाती हूँ, और आज एक ज़िंदगी लेने की सोच रही हूँ?" उसकी अंतरात्मा जाग गई। उसने तुरंत ज़हर वाली रोटी को आग में फेंक दिया और एक नई रोटी बनाकर खिड़की पर रख दी। उसने प्रार्थना की, "हे भगवान, मुझे माफ़ करना। मैंने गुस्से में गलत सोच लिया।" (Anger and regret, moral dilemma, kindness prevails)
कुबड़े का वही रवैया (The Hunchback’s Same Attitude)
हर दिन की तरह रघु आया। उसने रोटी उठाई और फिर वही शब्द दोहराए, "जो तुम बुरा करोगे, वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो अच्छा काम तुम करोगे, वह तुम्हारे पास वापस आएगा।" यह कहकर वह चला गया। सरला ने उसे जाते हुए देखा और सोचा, "यह तो नहीं जानता कि मैंने क्या सोचा था। लेकिन मैंने सही फैसला लिया।" उसने कमला को सारी बात बताई। कमला ने कहा, "सरला, तूने बहुत अच्छा किया। गुस्से में लिया गया फैसला हमेशा गलत होता है। तेरा दिल बहुत बड़ा है।" सरला ने मुस्कुराते हुए कहा, "शायद रघु के शब्दों में कोई गहरा मतलब है, जो मुझे अभी समझ नहीं आया।" (Hunchback’s words, woman’s realization, moral reflection)
बेटे की वापसी और चमत्कार (The Son’s Return and a Miracle)
हर दिन रोटी रखने से पहले सरला अपने बेटे रवि के लिए प्रार्थना करती थी। रवि अपनी किस्मत आज़माने दूर देश गया था, और कई महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी। सरला हर दिन कहती, "हे भगवान, मेरा बेटा सही-सलामत लौट आए।" उस शाम, जब सूरज ढल रहा था, उसके दरवाज़े पर खटखटाहट हुई। सरला ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि रवि सामने खड़ा है। वह बहुत कमज़ोर और भूखा दिख रहा था। उसके कपड़े फटे हुए थे। रवि ने माँ को देखते ही कहा, "माँ, यह चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ! मैं दूर देश में भूख से मर रहा था। मैंने सोचा कि अब मैं नहीं बचूँगा।" सरला ने रोते हुए पूछा, "बेटा, फिर तू कैसे बच गया?" (Mother-son reunion, emotional moment, son’s survival)
रोटी ने बचाई जान (The Bread That Saved a Life)
रवि ने जवाब दिया, "माँ, एक दिन मैं सड़क पर भूख से बेहाल था। तभी एक कुबड़ा आदमी मेरे पास से गुज़रा। मैंने उससे खाने की भीख माँगी। उसने मुझे एक रोटी दी और कहा, ‘मैं यह हर दिन खाता हूँ, लेकिन आज तुम्हें इसकी ज़्यादा ज़रूरत है। इसे खा लो।’ उस रोटी ने मेरी जान बचाई, माँ।" सरला ने यह सुनते ही रघु के शब्द याद किए। उसका चेहरा पीला पड़ गया। उसने दरवाज़े का सहारा लिया और कहा, "रवि, वह रोटी मैंने बनाई थी! मैंने आज सुबह उस रोटी में ज़हर डालने की सोची थी, लेकिन आखिरी वक्त पर उसे जला दिया।" रवि ने हैरानी से पूछा, "माँ, तुमने ऐसा क्यों सोचा?" सरला ने रोते हुए कहा, "मुझे रघु की बातों पर गुस्सा आ गया था। लेकिन अब मैं समझ गई कि उसके शब्दों का मतलब क्या था।" (Karma revelation, life-saving bread, emotional twist)
कहानी से सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए, चाहे उसकी तारीफ हो या न हो। जो अच्छा काम हम करते हैं, वह किसी न किसी रूप में हमारे पास लौटकर आता है। गुस्से में लिए गए फैसले हमें गलत रास्ते पर ले जाते हैं, लेकिन नेकी का रास्ता हमेशा सही होता है। (Lesson on kindness, karma returns, moral for kids)