गणेश जी को प्रथम पूजनीय बनाने की कथा धार्मिक ग्रंथों में गणेश जी को सभी कार्यों में सबसे पहले पूजने की परंपरा का उल्लेख है। यह परंपरा क्यों और कैसे शुरू हुई, इसकी एक रोचक कथा है। यह कथा न केवल गणेश जी की बुद्धिमत्ता को दर्शाती है By Lotpot 21 Dec 2024 in Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 गणेश जी को प्रथम पूजनीय बनाने की कथा- धार्मिक ग्रंथों में गणेश जी को सभी कार्यों में सबसे पहले पूजने की परंपरा का उल्लेख है। यह परंपरा क्यों और कैसे शुरू हुई, इसकी एक रोचक कथा है। यह कथा न केवल गणेश जी की बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, बल्कि माता-पिता के प्रति श्रद्धा का महत्व भी सिखाती है। देवताओं की सभा और निर्णय का विषय एक बार सभी देवताओं की एक सभा आयोजित हुई। इस सभा का विषय था, "धार्मिक कार्यों में सबसे पहले किस देवता का पूजन किया जाए?" सभी देवता अपने-अपने विचार रखने लगे। इंद्र देव ने कहा, "सूर्य देव को सबसे पहले पूजना चाहिए, क्योंकि उनके कारण ही संसार प्रकाशमान रहता है।"पवन देव बोले, "मैं सबको प्राण देता हूं, इसलिए सबसे पहले मेरा पूजन होना चाहिए।" देवताओं में बहस बढ़ती गई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। अंततः सभी ने फैसला ब्रह्मा जी पर छोड़ दिया। प्रतियोगिता का ऐलान ब्रह्मा जी ने कहा, "निर्णय के लिए कल एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। जो भी देवता पृथ्वी की सात परिक्रमा सबसे पहले पूरी करके लौटेगा, वही धार्मिक कार्यों में पूजनीय होगा।" यह सुनकर सभी देवता अपने तेज़ और शक्तिशाली वाहनों के साथ तैयार हो गए। लेकिन गणेश जी चिंतित थे, क्योंकि उनका वाहन चूहा था, जो तेज़ दौड़ने में सक्षम नहीं था। गणेश जी की बुद्धिमत्ता गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक अलग रास्ता चुना। उन्होंने अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती के पास जाकर उनके चरणों में प्रणाम किया।गणेश जी ने कहा, "माता-पिता ही सृष्टि के आधार हैं। उनकी परिक्रमा करना ही पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा के समान है।" उन्होंने अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा की और तुरंत ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए। देवताओं का आश्चर्य धीरे-धीरे अन्य देवता भी प्रतियोगिता पूरी करके लौटे। जब उन्होंने गणेश जी को पहले से वहां देखा, तो वे चकित रह गए। ब्रह्मा जी ने कहा, "गणेश जी ने अपनी माता-पिता की परिक्रमा करके यह सिद्ध कर दिया है कि माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड के प्रतीक हैं। गणेश जी की बुद्धिमत्ता और भक्ति उन्हें प्रथम पूजनीय बनाती है।" गणेश जी का प्रथम पूजनीय होना सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी के निर्णय को सहर्ष स्वीकार कर लिया। तभी से गणेश जी को धार्मिक कार्यों में "प्रथम पूजनीय" का दर्जा मिला। कहानी से सीख यह कहानी हमें सिखाती है कि माता-पिता के प्रति श्रद्धा और सम्मान हर इंसान का पहला कर्तव्य है। गणेश जी की बुद्धिमत्ता और भक्ति का यह उदाहरण हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। और पढ़ें कहानी (Hindi Story): क्रिसमस का असली संदेश: इंसानियत और सेवा की सीख Motivational Story : पंखों से नहीं, हौसले से उड़ान होती है सीख देती कहानी : सबसे कीमती माॅडल Motivational Story - मनोहर की बुद्धिमानी You May Also like Read the Next Article