Motivational Story - मनोहर की बुद्धिमानी

 मनोहर नाम का एक युवक अपने बड़े भाई सुरेंद्र के साथ अपने पुश्तैनी मकान में रहता था। उनके पिता एक गरीब किसान थे, जो खेती करके परिवार का गुजारा करते थे। मनोहर केवल छठी कक्षा तक पढ़ा था

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Motivational Story Manohar Wisdom
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Motivational Story - मनोहर की बुद्धिमानी : मनोहर नाम का एक युवक अपने बड़े भाई सुरेंद्र के साथ अपने पुश्तैनी मकान में रहता था। उनके पिता एक गरीब किसान थे, जो खेती करके परिवार का गुजारा करते थे। मनोहर केवल छठी कक्षा तक पढ़ा था, लेकिन उसने अपने पिता और गाँव के पंडित जी से नैतिकता की कई बातें सीखी थीं। मनोहर को धर्म और सदाचार की किताबें पढ़ने का भी शौक था। लेकिन काम करने में उसका मन नहीं लगता था, जिससे गाँववाले उसे आलसी और निकम्मा समझते थे।

राजा महादेवन एक बड़े उत्सव का आयोजन

एक दिन मनोहर के एक दोस्त ने बताया कि राजधानी में राजा महादेवन एक बड़े उत्सव का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता भी होगी। इसमें अच्छे उत्तर देने वाले को धन और सम्मान का पुरस्कार मिलेगा। मनोहर ने सोचा कि उसकी बुद्धि भी तेज है, इसलिए उसे इस प्रतियोगिता में जरूर भाग लेना चाहिए।

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प्रतियोगिता वाले दिन मनोहर उत्सव में पहुँचा। राजा महादेवन ने मनोहर से पूछा, "बताओ, हमारे राज्य में कितने लोग सच बोलते हैं?"
मनोहर ने तुरंत उत्तर दिया, "महाराज, हमारे राज्य में केवल वे 500 लोग सच बोलते हैं जो राजमहल में काम करते हैं। अगर वे झूठ बोलेंगे, तो नौकरी से निकाल दिए जाएंगे।"
राजा ने मुस्कुराकर कहा, "एक ऐसा झूठ बोलो, जिसे सुनकर कोई भी विश्वास न कर सके।"
मनोहर ने कहा, "मैं हवा में उड़ रहा हूँ!"
सभी ने यह सुनकर हँसी उड़ाई, लेकिन राजा मनोहर की बुद्धिमत्ता से प्रभावित हुए और उसे विजेता घोषित किया।

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मनोहर को पुरस्कार में एक सोने की मोहर, रेशमी धोती, और कुर्ता दिया गया। लेकिन मनोहर ने रेशमी कपड़े एक जरूरतमंद को दान कर दिए और अपने पुराने कपड़ों में ही भोज में शामिल हुआ। भोज में, उसने मिठाई के बजाय साधारण दाल और रोटी खाई।

राजा महादेवन ने यह देखकर मनोहर से पूछा, "तुमने हमारी दी हुई पोशाक क्यों नहीं पहनी और मिठाई क्यों नहीं खाई?"
मनोहर ने विनम्रता से कहा, "महाराज, मैं साधारण परिवार से हूँ। अगर मेरी जीभ मिठाई की आदी हो गई, तो मुझे इसकी लालसा पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। इसलिए मैंने वही खाया, जो मेरे लिए उचित था।"
राजा ने फिर पूछा, "तो तुमने सोने की मोहर अपने पास क्यों रखी?"
मनोहर ने उत्तर दिया, "यह मोहर मैंने अपने बड़े भाई को देने के लिए रखी है, क्योंकि वही मेरा पालन-पोषण करता है। वह इसे पाकर बहुत खुश होगा।"

राजा महादेवन मनोहर की बुद्धिमत्ता और विनम्रता से प्रभावित हुए और उसे अपनी राज्यसभा में अच्छे वेतन पर नौकरी दे दी।

सीख: सच्चाई, विनम्रता और बुद्धिमानी से जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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