दोस्ती की परीक्षा: सच्ची दोस्ती की असली पहचान राजू और मोहन, दोनों पक्के दोस्त थे। उनकी दोस्ती पूरे मोहल्ले में मशहूर थी। दोनों साथ में स्कूल जाते, खेलते और पढ़ाई भी करते। एक दिन स्कूल में एक बड़ी प्रतियोगिता की घोषणा हुई By Lotpot 12 Sep 2024 in Motivational Stories Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 राजू और मोहन, दोनों पक्के दोस्त थे। उनकी दोस्ती पूरे मोहल्ले में मशहूर थी। दोनों साथ में स्कूल जाते, खेलते और पढ़ाई भी करते। एक दिन स्कूल में एक बड़ी प्रतियोगिता की घोषणा हुई—क्विज़ प्रतियोगिता। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सभी छात्र-छात्राओं में भारी उत्साह था। राजू और मोहन भी इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते थे। लेकिन समस्या यह थी कि केवल एक ही छात्र टीम का प्रतिनिधित्व कर सकता था, और राजू और मोहन दोनों की टीम बनाना मुमकिन नहीं था। कठिन फैसला प्रतियोगिता के लिए दोनों में से एक को चुना जाना था। टीचर ने यह जिम्मेदारी दोनों पर छोड़ दी कि वे आपस में तय करें कि कौन प्रतियोगिता में भाग लेगा। राजू बहुत बुद्धिमान और तेज़ छात्र था, जबकि मोहन की सामान्य जानकारी काफी अच्छी थी। दोनों ने एक-दूसरे की काबिलियत को समझा, लेकिन यह तय करना मुश्किल हो रहा था कि कौन प्रतियोगिता में हिस्सा ले। एक शाम, राजू अपने घर पर बैठा सोच रहा था कि अगर उसने मोहन को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने दिया, तो वह हार सकता है क्योंकि मोहन की तैयारी उतनी अच्छी नहीं थी। पर अगर वह खुद प्रतियोगिता में जाता, तो उसकी दोस्ती पर असर पड़ सकता था। सच्चाई का सामना दूसरे दिन, राजू ने मोहन से बात की और अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। मोहन ने ध्यान से राजू की बात सुनी और कहा, "राजू, हमें जीत से ज्यादा अपनी दोस्ती की कदर करनी चाहिए। अगर तुम्हें लगता है कि तुम बेहतर करोगे, तो तुम्हें प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहिए। मैं तुम्हारे लिए खुश होऊंगा।" राजू मोहन की बात सुनकर बहुत प्रभावित हुआ। उसने महसूस किया कि सच्ची दोस्ती का मतलब जीत या हार से नहीं होता, बल्कि एक-दूसरे की भलाई के बारे में सोचना होता है। सीख राजू ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। जब वह वापस लौटा, तो सबसे पहले उसने मोहन को गले लगाया और कहा, "ये जीत सिर्फ मेरी नहीं, हमारी दोस्ती की जीत है।" दोनों ने उस दिन समझा कि सच्ची दोस्ती को कोई परीक्षा हरा नहीं सकती। कहानी की सीख सच्ची दोस्ती में जीत और हार से ऊपर उठकर एक-दूसरे की भावनाओं और जरूरतों को समझना सबसे बड़ी बात होती है। दोस्ती तभी परख में खरी उतरती है, जब दोनों एक-दूसरे की भलाई के लिए सोचे और साथ खड़े रहें। और बाल कहानी भी पढ़ें : पिता और बेटी की दिल छू लेने वाली कहानी: एक इमोशनल सफरबाल कहानी : हाथों का मूल्यकंजूसी और फिजूलखर्ची का महत्व: सही राह का चुनावप्रेरणादायक कहानी- सूरज को वापस कौन लाएगा #Hindi Motivational Story #Hindi Motivational Stories #Kids Hindi Motivational Stories #Kids Hindi Motivational Story #bachon ki motivational story #hindi motivational story for kids You May Also like Read the Next Article