बाल कहानी : हाथों का मूल्य

बाल कहानी : हाथों का मूल्य - यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है जब स्कूल की छुट्टी के बाद रमेश अपने घर लौट रहा था। हैडमास्टर होने के कारण, वह स्कूल से सबसे आखिरी में निकलता था।

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bal kahani haathon ka mulya hindi story lotpot
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बाल कहानी : हाथों का मूल्य - यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है जब स्कूल की छुट्टी के बाद रमेश अपने घर लौट रहा था। हैडमास्टर होने के कारण, वह स्कूल से सबसे आखिरी में निकलता था। अचानक, उसके स्कूटर का हैंडल हिलने लगा। उसने तुरंत ब्रेक लगाए और नीचे उतरकर स्कूटर का निरीक्षण करने लगा। पता चला कि पिछले टायर में पंचर हो गया था। स्कूटर खींचते हुए वह एक ऑटो रिपेयर की दुकान की ओर बढ़ा क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं था।

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काफी दूर चलने के बाद, उसे एक दुकान के बाहर कुछ टायर रखे दिखे। वह समझ गया कि यह एक ऑटो रिपेयर मैकेनिक की दुकान है और वहां उसका पंचर ठीक हो जाएगा। उसने जैसे ही स्कूटर खड़ा किया, एक लड़का दुकान से बाहर निकला और पूछा, "क्या करवाना है?" रमेश ने पंचर टायर की ओर इशारा किया। वह हैरान था कि लड़का उसकी ओर ध्यान से देख रहा था। लड़का अंदर गया और अपने औजार लेकर बाहर आ गया और काम शुरू कर दिया।

जब तक लड़का पंचर ठीक कर रहा था, एक बुजुर्ग पानी का गिलास लेकर रमेश के पास आए। रमेश उनकी मेहमान-नवाज़ी देखकर अचंभित हो गया। उसने बुजुर्ग से कहा कि वह पानी नहीं पीएगा क्योंकि उसका पेट भरा हुआ था। बुजुर्ग मुस्कुराए और अंदर चले गए क्योंकि बाहर बहुत गर्मी थी।

लड़के ने टायर को ठीक कर दिया और रमेश से कहा कि आगे किसी पेट्रोल पंप पर हवा चेक करा लें। जब रमेश ने लड़के से मेहनताना पूछा, तो लड़के ने कुछ नहीं कहा और अंदर जाकर बुजुर्ग को बुला लाया।

बुजुर्ग ने रमेश से कहा, "लगता है आपने इस लड़के को पहचाना नहीं। पांच साल पहले यह आपका शिष्य था, लेकिन पैसों की तंगी के कारण इसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। यह लड़का अब मेरी दुकान में मदद करता है। यह बहुत ईमानदार और मेहनती है, और यह सब उसने आपसे सीखा है। कृपया, इसे पैसे देने की ज़िद न करें। इस लड़के को आपसे यह काम करके खुशी मिलेगी।"

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रमेश उनकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ, लेकिन उसने सोचा कि लड़के को उसके काम की कीमत मिलनी चाहिए। उसने पैसे देने की ज़िद की, लेकिन बुजुर्ग ने फिर कहा, "आप तो इस काम की कीमत दे देंगे, लेकिन यह लड़का आपके एहसान का बदला कैसे चुकाएगा?"

रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैंने कुछ खास नहीं किया है। अगर यह लड़का अपने हाथों से अच्छा काम करेगा, तो उसे इसकी कीमत मिलनी चाहिए।"

बुजुर्ग ने अंत में कहा, "ईश्वर ने हमें हाथ दिए हैं, लेकिन काम करने का हुनर तो गुरु ही सिखाते हैं। यही हुनर हमारे हाथों की कीमत बढ़ाता है।"

यह सुनकर रमेश का दिल भर आया। उसने लड़के को गले से लगा लिया। लड़के ने रमेश के पैर छुए और स्कूटर को स्टार्ट कर दिया। रमेश वहां से गर्व के साथ निकला, जैसे उसे भारत रत्न का पुरस्कार मिला हो।

बाल कहानी से सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी काम की असली कीमत हमारे हाथों में नहीं बल्कि हमारे हुनर में होती है। यह हुनर हमें गुरु से मिलता है, जो हमें न केवल काम करना सिखाते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि जीवन में सही राह क्या है। सही गुरु हमें जीवन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करते हैं, और हमें सफलता की ओर ले जाते हैं।

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