Motivational Story: रजत का संकल्प रजत का मन पढ़ने लिखने में कम खेलने में ज्यादा लगता था। उसके सहपाठी परीक्षा में जहां बहुत अच्छे नंबरों से पास होते थे, वहीं रजत किसी तरह पास करता था। उसकी पोजिशन सबसे अंत में आती थी। By Lotpot 27 Apr 2024 in Stories Motivational Stories New Update रजत का संकल्प Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Motivational Story रजत का संकल्प:- रजत का मन पढ़ने लिखने में कम खेलने में ज्यादा लगता था। उसके सहपाठी परीक्षा में जहां बहुत अच्छे नंबरों से पास होते थे, वहीं रजत किसी तरह पास करता था। उसकी पोजिशन सबसे अंत में आती थी। इस बार भी वार्षिक परीक्षा में वह बहुत कम नंबरों से पास हुआ था। (Motivational Stories | Stories) अच्छे नंबरों से पास होने वाले लड़के खुशी से चहक रहे थे तथा एक दूसरे को अपना नंबर दिखा रहे थे। किंतु रजत अपनी मार्कशीट जेब में रखकर सबसे मुंह चुराता फिर रहा था। उसके एक सहपाठी ने उसे घेर लिया और बोला, "अपनी मार्कशीट दिखाओ"। रजत को मार्कशीट दिखाने में शर्म आ रही थी। उसे चिढ़ाते हुए सहपाठी ने कहा, "अरे यार, मार्कशीट दिखाने में शर्म क्यों करते हो? तुम्हारा नंबर और क्लास में पोजिशन हमें मालूम है। हम तो ऐसे ही पूछ रहे थे कि देखें कहीं तुम्हारी पोजिशन और नीचे तो नहीं चली गई"। अपनी अयोग्यता की हंसी उड़ाता देख रजत को बहुत बुरा लगा। वह उदास हो गया। वह भारी कदमों से अपने घर चल दिया। जैसे ही वह घर में दाखिल हुआ, उसकी नज़र अपने पिता पर पड़ी। पिताजी ने भी उसकी ओर देखा मगर मुंह से कुछ नहीं बोले। हांलाकि उन्हें मालूम था कि आज रजत का रिजल्ट निकलने वाला है। (Motivational Stories | Stories) पिताजी ने जब कुछ नहीं पूछा तो उसे अटपटा सा लगा। वह तुरंत पिताजी के पास जाकर बोला, "मेरा रिजल्ट निकल गया पिताजी"। "फर्स्ट आए हो क्या?" पिताजी ने व्यंग्य से पूछा। रजत ने कोई उत्तर नहीं दिया। "पढ़ते लिखते तो हो नहीं, तुम क्या फर्स्ट आओगे" पिताजी ने क्रोध को दबाकर कहा, "कभी कभी सोचता हूं कि तुम्हारी पढाई लिखाई छुड़वाकर तुम्हें कहीं काम पर रखवा दूं!" (Motivational Stories | Stories) पिताजी की बात सुनकर वह आंतरिक वेदना से छटपटा उठा। "अगर मैं आज फर्स्ट आता तो पिताजी को कितनी खुशी होती," रजत ने... पिताजी की बात सुनकर वह आंतरिक वेदना से छटपटा उठा। "अगर मैं आज फर्स्ट आता तो पिताजी को कितनी खुशी होती," रजत ने सोचा, "मैं पिताजी को खुशी नहीं दे सका। कोई भी मुझसे खुश नहीं है। सब मुझपर व्यंग्य कसते हैं। आज तो पिताजी ने पढ़ाई छुड़ाने तक की बात कह दी। अब मुझे इस घर में रहने का कोई हक नहीं है मुझे आज ही घर छोड़कर कहीं चले जाना चाहिए"। इस तरह की तमाम बातें उसके मन में आ रहीं थीं"। घर छोड़ने का उसने सख्ती से निर्णय कर लिया। उसने जेब खर्च से बचाए थोड़े से रूपए और कुछ कपड़े एक बैग में डाले और फिर चुपके से घर से निकल गया। (Motivational Stories | Stories) वह स्टेशन पहुंच कर ट्रेन का इंतजार करने लगा। उसने दिल्ली का टिकट कटा लिया था। उसके चाचाजी दिल्ली में रहते थे। वह इंजीनियर थे। राजन ने सोचा था कि दिल्ली जाकर चाचा जी से सारी बातें कहेगा और उनसे कहीं नौकरी दिलाने की बात करेगा। तभी प्लेटफार्म पर एक ट्रेन आकर खड़ी हुई। ट्रेन दिल्ली से आई थी। उस ट्रेन से संयोग, से रजत के चाचाजी उतरे। (Motivational Stories | Stories) चाचाजी की नजर रजत पर पड़ गई। उन्होंने सोचा कि शायद रजत मुझे ही लेने स्टेशन आया है। "अरे वाह बेटे" चाचाजी ने रजत के कंधे पर हाथ मार कर कहा, "तुम मुझे लेने स्टेशन आ गए लेकिन मैंने तो अपने आने की सूचना नहीं दी थी। तुम्हें कैसे पता चला कि मैं इसी ट्रेन से आ रहा हूं?" चाचाजी को देखकर रजत सकपका गया। उसके मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे। वह अपना बैग छिपाने की कोशिश करने लगा। बैग देखकर चाचाजी ने पूछा, "इस बैग में क्या है?" रजत ने कोई उत्तर नहीं दिया। उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। (Motivational Stories | Stories) चाचाजी को कुछ संदेह हुआ तो उन्होनें पूछा, "बैग लेकर जा रहे थे कया तुम?" रजत का गला रूंध गया, कहीं तुम घर से भाग कर तो नहीं जा रहे थे?" "हां चाचाजी, मैं घर से भागकर आप ही के पास दिल्ली जा रहा था," रजत ने रोते रोते उन्हें सब कुछ बता दिया। चाचाजी ने रजत को प्यार से समझाते हुए कहा, "बेटे, पढ़ाई में लापरवाही करते हो, इसीलिए तो तुम्हारा रिजल्ट हमेशा खराब होता है। अगर तुम खूब मन लगा कर पढ़ाई करते तो तुम्हारा रिजल्ट जरूर अच्छा होता। अपने क्लास में फर्स्ट आना और अच्छी पोजिशन प्राप्त करना कोई कठिन काम नहीं है"। इसके लिए जरूरत है खूब मन लगाकर पढ़ने, दृढ़ निश्चय, कठिन परिश्रम, तथा नियमित अभ्यास की"। चाचाजी ने और भी बहुत सी बातें उसे समझाई। चाचाजी की बातों ने मानों रजत की आँखों से अज्ञानता का पर्दा हटा दिया था। उसने मन ही मन संकल्प कर लिया कि अगले वर्ष वार्षिक परीक्षा में वह फर्स्ट आकर दिखाएगा। वह चाचाजी के कहे अनुसार अपनी पढ़ाई में खूब मन से जुट गया। अभी से दिन रात परिश्रम करने लगा। उसने केवल अपने लक्ष्य को याद रखा और ऐसे जम कर पढ़ाई की कि, उपहास उड़ाने वालों को मुंह की खानी पड़ी। उसका संकल्प पूरा हुआ। (Motivational Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | kids short stories | kids hindi short stories | Short Motivational Stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Motivational Stories | kids hindi stories | Kids Hindi Story | kids motivational stories | Hindi Motivational Stories | Hindi Motivational Story | motivational kids stories | Kids Stories | Hindi Kids Stories | Kids Story Hindi | hindi stories for kids | hindi stories | motivational stories for kids | Motivational Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की प्रेरक कहानियाँ | शिक्षाप्रद कहानियां यह भी पढ़ें:- Motivational Story: एक पैसा नहीं रुपया लो Motivational Story: पिता की सीख Motivational Story: मुझे कहाँ ढूंढे रे बन्दे? 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