Motivational Story: पिता की सीख

पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।

New Update
Father with his son cartoon image

पिता की सीख

Motivational Story पिता की सीख:- पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे। जब रोशनलाल ने अपनी विद्यालय की शिक्षा पूरी कर ली तो सेठजी ने उससे कहा, ‘बेटा! मैं चाहता हूँ कि तुम एक अच्छे डाॅक्टर बनकर दीन दुखियों की सेवा करो।’ ‘जैसी आपकी इच्छा पिताजी’ रोशनलाल ने पिता की इच्छानुसार डाक्टरी में प्रवेश ले लिया। (Motivational Stories | Stories)

साल भर बाद ही वह अपनी पढ़ाई छोड़कर आ गया और बोला, ‘पिताजी मैं डाॅक्टर नहीं, इंजीनियर बनना चाहता हूँ। इंजीनियर बनकर मैं एक बड़ा सा कारखाना खोलूंगा और इससे बहुत बेरोजगार युवकों को काम मिल जाएगा।’ सेठ भी पु़त्र की बात से सहमत हो गए और उसने इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया। 

Father with his son cartoon image

साल भर बाद वह फिर घर लौट आया और बोला, ‘पिताजी! मैं तो एक आदर्श शिक्षक...

साल भर बाद वह फिर घर लौट आया और बोला, ‘पिताजी! मैं तो एक आदर्श शिक्षक बनना चाहता हूँ शिक्षक बनकर मैं विद्यार्थियों में सद्गुणों का विकास कर पाऊंगा। इस बार पिता पुत्र की बात सुनकर चुप हो गए और अपने मन ही मन उन्होंने कुछ निश्चय किया। अगले दिन वे उसे एक खेत में ले गए। रोशन ने देखा कि उस खेत में पचास पचास हाथ गहरे चार गड्ढे खुदे हुए थे। इन चारों गड्ढों से कुछ ही दूरी पर खेत का मालिक पांचवां गड्ढा भी खुदवा रहा था। ‘पिताजी! इस खेत में इतने गढ्ढे क्यों खुदवाये जा रहे हैं?’ रोशन ने जिज्ञासावश पूछा। (Motivational Stories | Stories)

पुत्र की जिज्ञासा को देखकर सेठ जी बोले, ‘खेत में पानी देने के लिए इस खेत के मालिक ने पचास पचास हाथ गहरे ये चार कुएं एक के बाद एक खुदवाये हैं परन्तु किसी में भी पानी नहीं निकला इसलिए अब वह पांचवां कुंआ खुदवा रहा है।’ ‘कितना मूर्ख है इस खेत का मालिक अगर वह पचास पचास हाथ गहरे की कुओं के स्थान पर दो सौ हाथ गहरा एक ही कुंआ खोदता तो खेत भी नहीं बिगड़ता और इससे कम धन और कम परिश्रम से ही पानी भी मिल जाता?’ ‘बिल्कुल ठीक सोचा, तुमने पुत्र, जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को बार बार बदला करते हैं। अन्त में वे थाली के बैंगन के समान इधर उधर लुढका करते हैं। वे कभी अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पाते। अन्त तक वे खाली हाथ ही भटका करते हैं!’ सेठ ने पुत्र की बात का समर्थन करते हुए कहा। 

Father with his son cartoon image

अगले दिन जब सेठजी सोकर उठे तो उन्होंने देखा कि रोशनलाल शहर जाने के लिए तैयार था। तभी वह उनके पास आया और बोला। ‘पिताजी! मैं आज ही कॅालेज जा रहा हूँ। मझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं एक सफल इंजीनियर बनकर अपने लक्ष्य को पा सकूं। कल आपकी बात ने मेरी आँखें खोल दी। अब मैं बार बार अपने लक्ष्य को नहीं बदलूँगा बल्कि उसे पूरा करने के लिए आकाश पाताल एक कर दूँगा।’ ‘बेटा! मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है।’ गदगद होकर सेठजी ने कहा और पुत्र को गले से लगा लिया। (Motivational Stories | Stories)

lotpot | lotpot E-Comics | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahaniyan | Short Motivational Stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Stories | hindi stories | Motivational Stories | kids motivational stories | Kids Hindi Motivational Stories | Hindi Motivational Stories | लोटपोट | लोटपोट इ-कॉमिक्स | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | बाल कहानियां | बच्चों की प्रेरक कहानियाँ 

यह भी पढ़ें:-

Motivational Story: कीमत

Motivational Story: मोची का लालच

Motivational Story: भगवान पर भरोसा

Motivational Story: प्रयास से सफलता

#बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Bal Kahaniyan #Motivational Stories #Kids Stories #kids motivational stories #बच्चों की प्रेरक कहानियाँ #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Hindi Motivational Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #Short Motivational Stories #Kids Hindi Motivational Stories #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां