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मुझे कहाँ ढूंढे रे बन्दे?
Motivational Story मुझे कहाँ ढूंढे रे बन्दे:- एक मोची भगवान का सच्चा भक्त था। जब वह प्रतिदिन जूते मरम्मत व गांठने का काम करता तो उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहती रहती। वह मन ही मन कहता- हे भगवान! मैं कब आपके सुंदर मुख के दर्शन कर सकूंगा? (Motivational Stories | Stories)
बार-बार उसके मन में यह इच्छा जागृत होती थी। उसका मन प्रभु प्रेम व उसको पाने की लालसा से भर जाता।
एक दिन उसने एक दैवीय आवाज़ सुनी- ‘मेरे बच्चे, कल सुबह-सुबह सामने...
एक दिन उसने एक दैवीय आवाज़ सुनी- ‘मेरे बच्चे, कल सुबह-सुबह सामने की गली में आना, मैं तुम्हें वहां मिलूंगा।’ वह अगले दिन की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। सुबह होते ही वह उस गली में पहुंच गया। वहां उसने देखा एक स्त्री अपनी गोद में छोटा बच्चा लिए खड़ी थी। दोनों ने फटे- पुराने कपड़े पहने हुए थे और सर्दी की सुबह में घोर शीत के कारण कांप रहे थे। (Motivational Stories | Stories)
वह स्त्री के पास गया और बोला, ‘तुम इस ठिठुरती सर्दी में यहां क्यों खड़ी हो?’
स्त्री बोली, ‘मैं बेघर हूं, मेरा कोई नहीं और सारी रात मैं यहां बैठकर कांपती रही हूं। ठंड के मारे मेरे अंग सुन्न हो गए हैं और मेरा बच्चा ठंड से जमकर मरणासन्न हो गया है। कल से हमने एक ग्रास तक नहीं खाया।’ (Motivational Stories | Stories)
मोची बोला, ‘मेरे साथ आओ।’
अपने घर ले जाकर उसने उन्हें कपड़े व कंबल दिए, फिर उनके लिए बिस्तर बनाया। (Motivational Stories | Stories)
स्त्री से वह बोला, ‘तुम आराम करो, मैं तुम्हारे लिए भोजन बनाता हूं। खाना खाकर तुम आराम करो क्योंकि तुम्हें आराम की सख्त जरूरत है।’
जैसे ही मोची ने उन्हें कपड़े और कम्बल दिए, उनके लिए बिस्तर बनाया, उसने देखा कि उस स्त्री का मुख एक दिव्य मुस्कान से खिल उठा। (Motivational Stories | Stories)
उस मुस्कान को देखकर मोची मन ही मन बोला, ‘वास्तव में यही भगवान के दर्शन हैं।’
गरीबों की सेवा ही है प्रभु की पूजा। (Motivational Stories | Stories)
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