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पढ़ाकू और लड़ाकू
Motivational Story पढ़ाकू और लड़ाकू:- विजय और अजय दोनों भाई कक्षा सात में पढ़ते थे। दोनों साथ साथ घर से स्कूल और स्कूल से घर आते जाते थे। विजय पढ़ने में बहुत तेज था हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आता था। विजय कमजोर छात्रों की सहायता करता था। इसलिये उसे सभी अपना दोस्त मानते थे। सभी लड़कों ने उसका नाम पढ़ाकू रख दिया था। (Motivational Stories | Stories)
इसके विपरीत अजय पढ़ने में तो तेज नहीं था पर बहुत मोटा था। कक्षा के सभी छात्रों पर अपना रोब जमाने के लिये सबको वह मारा पीटा करता था। सभी लड़कों ने उसका नाम लड़ाकू रख दिया था।
एक दिन पापा ने अजय को बुलाया और कहा- ‘बेटा, मुझे पता चला है कि तुम स्कूल में सबको मारते पीटते हो, पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो कैसे पास होगे। पढ़ाई किया करो ताकि तुम्हारे अन्दर कुछ बुद्धि आ सके। सिर्फ ताकत से नहीं हो सकता। ताकत के साथ साथ बुद्धि भी होनी चाहिये।’ (Motivational Stories | Stories)
अजय चुपचाप खड़ा सुनता रहा। पापा के चुप होने पर अजय बोला- ‘पापा जी, जब किसी के पास ताकत है तो खुद ही बुद्धि आ जायेगी।
पापा जी कुछ न बोले। शाम को विजय अजय और पापा बाज़ार गये। स्टैण्ड के पास पहुँच...
पापा जी कुछ न बोले। शाम को विजय अजय और पापा बाज़ार गये। स्टैण्ड के पास पहुँच अजय ने देखा कि एक बस छूट चुकी है और एक आदमी दौड़कर उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा था। पर बस की रफ्तार ज्यादा थी फिर भी आदमी दौड़ रहा था। (Motivational Stories | Stories)
अजय बोला- ‘पापा जी अगर मैं अभी उस आदमी को बस पकड़वा दूँ तो आप मुझे बुद्धिमान मानेंगे।’
‘हाँ कहते ही अजय ने पास में खड़े तीन चार कुत्तों को उस आदमी के पीछे दौड़ा दिया। कुतों को अपने पीछे आते देख आदमी बहुत तेज़ दौड़ने लगा और बस के पास पहुँचकर वह आदमी बस में बैठ गया।
अजय बोला- ‘देखा पापा, अब तो मैं बुद्धिमान हूँ।’ (Motivational Stories | Stories)
‘तुम अब भी बुद्धिमान नहीं मूर्ख हो। अगर कहीं किसी कुत्ते ने उसे काट लिया होता तो वह इस समय अस्पताल जा रहा होता।’ पापा बोले, अजय चुप हो गया। कुछ देर बाद सभी घर वापस आ गये। एक दिन की बात है। रविवार का दिन था। पापा बिजली का रेडियो ठीक करते देख रहे थे। विजय अन्दर कमरे में बैठा पढ़ रहा था।
तभी एकाएक पापा जोर से चिल्लाये, ‘अरे कोई बचाओ’।
आवाज सुनते ही अजय ने पापा को देखा तो पाया कि बिजली के तारों में पापा का हाथ फंस गया है पापा खींचकर हाथ निकालने की कोशिश कर रहे थे पर हाथ निकल नहीं रहा था। (Motivational Stories | Stories)
अजय बोला- ‘पापा जी, घबराये नहीं मैं आ रहा हूँ।’ इतना कहकर अजय ने पापा का हाथ पकड़ लिया और खींचने लगा। पर यह क्या न तो पापा का ही हाथ निकला बल्कि अजय का हाथ भी पापा के हाथ से चिपक गया था। अजय का सारा शरीर सुन्न होने लगा।
तभी विजय किसी काम से बाहर आया और उसने अजय और पापा को एक दूसरे से चिपके देखा तो वह सारा मामला समझ गया। (Motivational Stories | Stories)
विजय ने तुरन्त स्विच रेडियो को बंद कर के प्लग निकाल दिया। प्लग निकलते ही पापा का हाथ बिजली के तारों से और अजय का हाथ पापा के हाथ से छूट गया।
कुछ देर तक तो पापा वैसे ही बैठे रहे फिर विजय से बोले- ‘बेटा अगर आज तुम न होते तो हम दोनों का तो भगवान ही सहारा था।’ (Motivational Stories | Stories)
इसके बाद उन्होंने अजय की ओर देखा अजय बोला- ‘पापा जी आज मैं समझ गया कि बुद्धि का होना बहुत ही जरूरी है। ताकत भी बिना बुद्धि के बेकार है। आज से मैं स्कूल में मार-पीट नहीं करूंगा और पढ़ाई पर ध्यान दूंगा।’
पापा और विजय यह जानकर बहुत खुश हुए।
उस दिन के बाद से अजय ने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया। रिजल्ट निकलने पर वह कक्षा में द्वितीय स्थान पर आया था। (Motivational Stories | Stories)
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