Motivational Story: तरकीब

दीपू के कई मित्र थे। वह विद्यालय का सबसे प्रसिद्ध लड़का था। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी सदैव आगे रहता था। वह कक्षा के सभी विधार्थियों से बड़े प्रेम से बात करता। उसकी बोली में रस घुलता था।

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तरकीब

Motivational Story तरकीब:- दीपू के कई मित्र थे। वह विद्यालय का सबसे प्रसिद्ध लड़का था। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी सदैव आगे रहता था। वह कक्षा के सभी विधार्थियों से बड़े प्रेम से बात करता। उसकी बोली में रस घुलता था। उसे भी सभी बहुत प्यार और इज्ज़त देते थे। अध्यापकों का भी वह आदर करता था इसलिए वह अध्यापकों का भी दुलारा बना हुआ था। परंतु वह देखने में एकदम काला था या यूं कहें कि एकदम बदसूरत। एक दिन उसके पापा का ट्रांसफर लखनऊ में होने की सूचना मिली। ट्रांसफर की खबर सुनकर वह काफी दुखी हुआ। उसे लगा कि अब तो उसके सभी मित्र तथा उसका प्रिय विद्यालय भी उससे छूट जाएगा। दूसरे विद्यालय में वह कैसे जाएगा, उसका मन लगेगा या नहीं यह सोचकर वह परेशान था। उसकी परेशानी को देखकर दीपू की माँ ने उसे समझाया, ‘बेटा, हमें यह शहर छोड़कर तो जाना ही पड़ेगा। परंतु तुम्हें ज़्यादा निराश होने की ज़रूरत नहीं, थोड़े ही दिनों में वहां भी तुम्हारे मित्र बन जाएंगे और तुम्हारा मन स्कूल व मित्रों में लगने लगेगा। (Motivational Stories | Stories)

ट्रांसफर का ऑर्डर लेकर जब दीपू के पिता अपने परिवार के साथ लखनऊ पहुँचे तो...

ट्रांसफर का ऑर्डर लेकर जब दीपू के पिता अपने परिवार के साथ लखनऊ पहुँचे तो यह नया शहर दीपू के मन को एकदम भा गया। वहां शीघ्र ही एक अच्छे विद्यालय में दीपू को दाखिला मिल गया। परंतु जब नए विद्यालय में दीपू को उसकी कक्षा के विद्यार्थियों ने कल्लू-कल्लू कहकर चिढ़ाना शुरू किया तो उसे बहुत बुरा लगा। वह अपने सहपाठियों के चिढ़ाने से प्रायः झुंझला उठता। प्रायः जब स्कूल में ऐसी कोई बात होती तो वह घर आकर खाना छोड़कर अपने कमरे में लेट जाता। उसे इस हालत में देखकर उसकी माँ भी दुखी हो जाती थी। वह जब भी दीपू से उसकी उदासी का कारण पूछती तो वह कहता, माँ! अब मैं विद्यालय नहीं जाऊंगा। एक दिन जब उसकी माँ ने उससे खुलकर इसका कारण पूछा तो फिर दीपू ने माँ से सभी बातें स्पष्ट बता दीं। वह माँ से यह बताते हुए कि कक्षा के विद्यार्थी उसे कल्लू-कल्लू कहकर चिढ़ाते हैं और उसे अपने साथ नहीं खिलाते हैं। उसकी माँ ने उसे समझाया कि बेटा विद्यालय तो जाना ही होगा। जब तुम्हें बच्चे चिढ़ाएं तो तुम कुछ मत कहना और न ही मुँह बनाना। बल्कि उनके साथ हँसने लगना। ऐसा करने से तुम्हारी समस्याओं का अपने आप अंत होगा। (Motivational Stories | Stories)

अगले दिन दीपू ने विद्यालय जाकर माँ के कहे अनुसार ही किया। तीन-चार दिन तक दीपू ऐसा ही करता रहा। जब उस पर किसी के चिढ़ाने का असर नहीं दिखलाई पड़ा तो धीरे-धीरे बच्चों ने उसे चिढ़ाना ही बंद कर दिया। अब दीपू का मन विद्यालय में लगने लगा था। उसने अपनी माँ से कहा कि माँ आप की बताई तरकीब काम आ गई है, लेकिन माँ! अभी बच्चे मेरे साथ खेलने तथा बात करने को तैयार नहीं होते। इसके लिए मैं क्या करूं? इस पर माँ ने उसे सुझाव दिया कि तुम बच्चों से खुद ही बात करने की कोशिश करना। उन्हें यदि पढ़ाई में कोई दिक्कत होती हो तो उनकी मदद करना। धीरे-धीरे सब ठीक होता जाएगा। (Motivational Stories | Stories)

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दीपू माँ की बताई तरकीब के अनुसार चलता गया। अब पुराने विद्यालय की ही तरह दीपू इस विद्यालय में भी प्रसिद्ध होने लगा था। अपनी पढ़ाई और मेहनत के दम पर उसने अध्यापकों के बीच भी अपनी अच्छी पहचान बना ली थी। अब सब बच्चे भी उससे मित्रता करने को आतुर होते थे। (Motivational Stories | Stories)

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