Motivational Story: कर्तव्यहीनता

बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक संत रहते थे। उनके बारे में सब लोग यही मानते थे कि वह अत्यंत विद्वान तथा त्यागी तपस्वी थे। वह सुबह उठते तो नहा-धोकर तपस्या करने बैठ जाते। शाम होती तो भगवान की उपासना होती।

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saint Talking to yamraj

कर्तव्यहीनता

Motivational Story कर्तव्यहीनता:- बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक संत रहते थे। उनके बारे में सब लोग यही मानते थे कि वह अत्यंत विद्वान तथा त्यागी तपस्वी थे। वह सुबह उठते तो नहा-धोकर तपस्या करने बैठ जाते। शाम होती तो भगवान की उपासना होती। लगभग हमेशा ही वह साधना में लीन रहते। (Motivational Stories | Stories) सो दुनियादारी उनसे यों ही दूर रहती। इसी तरह से भगवान का नाम लेते-लेते उनकी मृत्यु की बेला भी आ पहुंची। मृत्यु के पश्चात उन्हे यमराज के दरबार में ले जाया गया। वे अपनी त्याग-तपस्या तथा भक्ति के बल पर मोक्ष चाहते थे, जबकि चित्रगुप्त ने उनके कुलीन कुल में जन्म लेने की व्यवस्था की थी। संत को दोबारा जन्म लेना स्वीकार नहीं था। सो वह वहीं अड़ गए कि उन्हें जन्म नहीं बल्कि मोक्ष चाहिए। उनका कहना था कि वे इसके हकदार हैं। इस बात पर संत और चित्रगुप्त में कहासुनी भी हो गई। (Motivational Stories | Stories) मामला गंभीर हुआ तो इसे धर्मराज के सामने ले जाया गया। धर्मराज ने चित्रगुप्त द्वारा उनके विषय में प्रस्तुत विवरण पर निगाह डाली और बोले, ‘महात्मन, यह बिल्कुल ठीक है कि आपने अपना व्यक्तिगत जीवन घोर तपस्या करते हुए, निष्कलंक व्यतीत किया। 

जीवन की सार्थकता केवल त्याग-तपस्या में नहीं बल्कि त्याग तपस्या के साथ-साथ परोपकार व सेवा के...

Yamraj Talking to saint

जीवन की सार्थकता केवल त्याग-तपस्या में नहीं बल्कि त्याग तपस्या के साथ-साथ परोपकार व सेवा के कार्यो में भी कुछ समय लगाने में है। आपने संसार के दुखी प्राणियों को सुखी बनाने के प्रयासों में अपना एक क्षण भी नहीं लगाया। उन्हें अच्छे और उचित कार्यो के लिए प्रेरित नहीं किया। (Motivational Stories | Stories) नीतिशास्त्र में इसे कर्तव्यहीनता और स्वार्थ कहा गया है। इस कर्तव्यहीनता के कारण आप मोक्ष के अधिकारी नहीं हैं।’ संत समझ गए कि केवल अपने मोक्ष का प्रयास तो वास्तव में स्वार्थ ही कहा जाएगा। अगले जन्म में सेवा व परोपकार पर पूरा समय देने का उन्होंने संकल्प कर लिया। जरूरी नहीं कि आप भगवान की पूजा करेगें तभी भगवान प्रसन्न होगें। भगवान को प्रसन्न रखना चाहते हो तो उनके द्वारा सौपें गए कार्यो को पूरा करें, आपको माता पिता ने पैदा किया, पढाया लिखाया, शादी करवा दी फिर आप माता पिता बने बच्चों को पढाओ-लिखाओं अच्छे कर्म करो साथ ही बूढ़े माता-पिता की सेवा करो। यही तो भगवान चाहते है कि इसी प्रकार दुनिया का चक्र चलता रहे। (Motivational Stories | Stories)

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