सीख देती कहानी - धरमचन्द की सहृदयता
सोनजूही छोटा सा गांव था। धरमचन्द वहाँ का मुखिया था । उसके पास काफी खेती बाड़ी थी । फसल भी खूब होती। किसी चीज की कमी उसे नहीं थी। जाड़े का मौसम था । धरमचन्द के पास एक कोट था बहुत पुराना ।
सोनजूही छोटा सा गांव था। धरमचन्द वहाँ का मुखिया था । उसके पास काफी खेती बाड़ी थी । फसल भी खूब होती। किसी चीज की कमी उसे नहीं थी। जाड़े का मौसम था । धरमचन्द के पास एक कोट था बहुत पुराना ।
बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य था जहां राजा रामभद्र राज करते थे। उनकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी। उनका नाम पूरे राज्य में सद्भावना और उदारता का प्रतीक बन गया था।
एक बार की बात है, एक तेली के पास कोल्हू का बैल था। बैल पूरे दिन तेल निकालने के लिए कोल्हू घुमाता रहता था। तेली ने बैल की आँखों पर पट्टी बांध रखी थी, ताकि बैल यह न समझ सके कि वह सिर्फ एक ही जगह पर घूम रहा है।
एक बार राजा वीरसेन के दरबार में एक कवि आया। उसने राजा की महानता की प्रशंसा करते हुए एक सुंदर कविता प्रस्तुत की। उसने कहा, "राजा वीरसेन बहुत महान हैं, वह दयालु और न्यायप्रिय हैं।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा किसान अपने चार आलसी पुत्रों के साथ रहता था। किसान बहुत मेहनती था, लेकिन उसके बेटे दिनभर बैठकर सिर्फ आराम करते और काम से जी चुराते थे।
Web Stories एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन बहुत ही जिज्ञासु और साहसी था। वह हमेशा नई चीजें सीखने और अन्वेषण करने
एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन बहुत ही जिज्ञासु और साहसी था। वह हमेशा नई चीजें सीखने और अन्वेषण करने के लिए तैयार रहता था।
Web Stories यह कहानी नवनीत और उसके दादा जी की है, जहां दादा जी उसे बैल की मेहनत और मूर्खता की कथा सुनाते हैं। बैल मेहनती थे, लेकिन पुआल को चुनकर
यह कहानी नवनीत और उसके दादा जी की है, जहां दादा जी उसे बैल की मेहनत और मूर्खता की कथा सुनाते हैं। बैल मेहनती थे, लेकिन पुआल को चुनकर अपनी मूर्खता साबित कर दी। कहानी सिखाती है कि मेहनत के साथ समझदारी भी जरूरी है, तभी सच्ची सफलता मिलती है।