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Truth victory Happy and Simran race
सच्चाई की जीत: हैप्पी और सिमरन की दौड़- दो भाई बहन थे - हैप्पी और सिमरन। एक दिन वह दोनों बगीचे में खेल रहे थे। भाई ने अपनी बहन की तरफ देखा और कहा, ‘मैं बोर हो चुका हूं। चलो, कुछ मज़ेदार करते है।’ बहन सिमरन बोली, ‘मैं बताती हूं कि क्या करना है?’ सिमरन ने दूर एक पेड़ की तरफ इशारा किया। उसने अपने भाई से कहा, ‘क्या तुम वो पेड़ देख सकते हो? चलो वहां तक दौड़ लगाते है। जो पहले उस पेड़ को छुएगा वह जीत जाएगा।’ हैप्पी ने सोचा, ‘यह बढ़िया है। मैं इसमें अपनी बहन को हरा सकता हूं।’ सिमरन सोचने लगी, ‘वैसे मुझे फर्क नहीं पड़ता कि क्या होगा, पर मैं अपने भाई को जीतने नहीं दूंगी।’
वह दोनों साथ साथ खड़े हो गए और बोले, ‘ठीक है, एक...दो...तीन...भागो।’ और जितनी तेज़ हो सके, उन दोनों ने भागना शुरू कर दिया। उन्होंने एक साथ एक ही समय पर पेड़ को छुआ।
सिमरन और हैप्पी ने एक दूसरे को देखा और हंसने लगे और तब सिमरन बोली, ‘हैप्पी यह तो टाई हो गया।’ हैप्पी ने कहा, ‘हां सिमरन, मुझे मालूम है कि यह टाई है। लेकिन मैं फिर भी जीत गया। मैं लड़का हूं इसलिए मैं जीता हूं।’ सिमरने ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता हैप्पी। क्योंकि तुम लड़के हो और मैं लड़की, इसका यह मतलब नहीं कि तुम जीते हो।’ वह दोनों एक दूसरे से बहस करते करते लड़ने लगे। बगीचे में सिंह साहब सैर कर रहे थे। वह एक अच्छे और होशियार आदमी थे। उन्होंने झगड़े की आवाज़ सुनी। वह बच्चों के पास आए और बोले, ‘बच्चों! तुम दोनों तो अच्छे बच्चे लगते हो। तो तुम एक दूसरे से बहस क्यों कर रहे हो?’
सिमरन ने कहा, ‘सर, हमने अभी दौड़ लगाई थी। हम दोनों के बीच में टाई हुआ लेकिन मेरा भाई हैप्पी कह रहा है कि वह दौड़ में जीता है। इसलिए हम बहस कर रहे है।’ सिमरन की बात सुनकर सिंह साहब हंसने लगे और उन्होंने कहा, ‘क्यों ना हम बहस ना करते हुए एक बार फिर दौड़ लगाए? अगर तुम चाहो तो मैं जज बन जाता हूं और देखता हूं कि इस बार कौन जीतता है?’ हैप्पी ने कहा, ‘यह अच्छा सुझाव है।’
सिमरन भी दौड़ के लिए तैयार थी। सिंह साहब ने दोनों को एक कागज़ और पेन दिया। उन्होंने फिर कहा कि अब मैं चाहता हूं कि तुम दोनों इस कागज़ पर अपना नाम लिखो। मैं तुम्हें पांच मिनट देता हूं। तुम कहीं भी जा सकते हो, पर इस खेल का एक नियम है। यह नियम है कि कोई भी तुम्हें नाम लिखता हुआ न देख पाए। समझ गए? कोई भी तुम्हें नाम लिखते हुए न देख पाए।’ वे दोनों समझ गए इसलिए वह अलग दिशाओं में भागे और पांच मिनट में वापिस आ गए।
सिंह साहब बोले, ‘तो चलो, तुम से शुरू करते हैं हैप्पी, मुझे अपना कागज़ का टुकड़ा दिखाओ।’ हैप्पी ने अपना नाम सुंदर और अच्छी तरह लिखा। ‘अब मुझे बताओ हैप्पी, तुम कहां गए थे?’ वह बोला, ‘जी मुझे एक खास जगह पता है। मैं उस गुफा में गया और मैंने कागज पर अपना नाम लिख दिया।’
सिंह साहब बोले, ‘बहुत अच्छे, शाबाश!’ हैप्पी को लगा कि वह जीत गया इसलिए वह मुस्कुराने लगा। अब सिमरन की बारी थी। उसने अपना कागज़ दिखाया जिस पर कुछ नहीं लिखा था। उन्होंनें पूछ, ‘तुमने कुछ क्यों नहीं लिखा है? क्या तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आई?’
फिर उसने कुछ न लिखने का कारण बताया, ‘निकलने के बाद मैं जंगल में गई। वहां एक पेड़ के नीचे बैठ गई, मैं बस अपना नाम लिखने ही वाली थी और फिर मैंने देखा, एक डाल पर बैठी चिड़िया मुझे ही देख रही थी। इसलिए मैंने अपना नाम नहीं लिखा। मैं झाड़ियोें की तरफ दौड़ी। मैं झाड़ियों में बैठ गई। मैंने देखा कि वहां एक खरगोश था, और वह मुझे देख रहा था इसलिए मेंने अपना नाम वहां भी नहीं लिखा।
मुझे रहस्यमयी गुफा के बारे में पता था इसलिए मैं गुफा में गई और एक पत्थर पर बैठ गई, मैंने अपना पेन उठाया, मैं नाम लिखने ही वाली थी, लेकिन मै रुक गई।’ हैप्पी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था कि अब उसकी बहन क्या बोलेगी। सिमरन ने कहा, ‘मैंने नाम नहीं लिखा क्योंकि मुझे लगा कि भगवान मुझे देख रहे है। सिंह साहब मुस्कुराए। हैप्पी बोला, ‘हालांकि मैंने कागज़ पर अपना नाम लिख दिया पर मुझे लगता है कि मेरी बहन जीत गई है।’
सिंह साहब मुस्कुराए और बोले, ‘तुम अपनी बहन का आदर कर रहे हो, तुमने उसकी उपलब्धि को देखा। तुम भी विजेता हो।’ फिर वे बोले, ‘भगवान सिर्फ स्वर्ग में नहीं है, भगवान हर जगह हैं।’ उस दिन दोनों भाई बहन जीत गए।
कहानी की सीख
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सच्चाई और ईमानदारी सबसे बड़ी जीत है: सिमरन ने खेल के नियम का पालन करते हुए अपना नाम नहीं लिखा, क्योंकि उसे लगा कि भगवान उसे देख रहे हैं। उसकी ईमानदारी ने उसे जीत दिलाई। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता चुनना चाहिए, भले ही कोई हमें देख न रहा हो।
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सम्मान और समझदारी की ताकत: हैप्पी ने अपनी बहन की ईमानदारी को देखकर उसकी जीत को स्वीकार किया और उसका सम्मान किया। यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की उपलब्धियों का सम्मान करना चाहिए और उनसे जलन या बहस करने की बजाय उनकी अच्छाइयों को पहचानना चाहिए।
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लड़का-लड़की में कोई भेद नहीं: कहानी की शुरुआत में हैप्पी ने सोचा कि वह लड़का है, इसलिए वह जीत गया। लेकिन सिमरन ने उसे समझाया कि जीत लिंग पर निर्भर नहीं होती। यह हमें सिखाता है कि लड़के और लड़कियाँ बराबर हैं, और किसी भी काम में सफलता मेहनत और काबिलियत से मिलती है, न कि लिंग के आधार पर।
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भगवान हर जगह हैं: सिंह साहब ने बच्चों को बताया कि भगवान सिर्फ स्वर्ग में नहीं, बल्कि हर जगह हैं। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अच्छे काम करने चाहिए, क्योंकि भगवान हमेशा हमें देख रहे हैं।
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भाई-बहन का प्यार और एकता: हैप्पी और सिमरन ने पहले बहस की, लेकिन अंत में एक-दूसरे का सम्मान किया और साथ में जीत हासिल की। यह हमें सिखाता है कि भाई-बहन को आपस में प्यार और समझदारी से रहना चाहिए।