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बाल कहानी - ख्याली पुलाव : एक गांव में एक चरवाहा रहता था। वो सुबह से शाम तक मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता था। उसका एक बेटा था जो बहुत ही आलसी था। चरवाहे ने उसे गाँव के एक स्कूल में दाखिल करवा दिया था ताकि वो पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन सके लेकिन बच्चे का मन पढ़ने लिखने में नहीं लगता था। वो स्कूल जाने के बहाने इधर उधर घूमता रहता था। एक दिन रास्ते में उसे एक दूधवाला दूध बेचता दिखाई दिया। उसने दूधवाले से पूछा, "भैया तुमने कभी पढ़ाई की है?"
दूधवाले ने दुखी मन से ज़वाब दिया कि वो अनाथ है इसलिए पढ़ाई नहीं कर पाया लेकिन वो कड़ी मेहनत मज़दूरी करके खुशहाल जीवन जी रहा है। यह सुनकर चरवाहे लड़के ने सोचा कि क्यों न वो भी ऐसा ही कुछ करके बहुत सारा रुपये कमा ले। शाम को वो घर लौटा तो अपनी माँ से मेला देखने के बहाने कुछ पैसे माँग लिए। माँ ने उसे पैसे दे दिए। लड़का भागा भागा दूध के दुकान पर गया और एक हाँडी दूध खरीद लाया ।
वो सोचने लगा कि दूध बेच कर वो कुछ पैसे कमा लेगा। लेकिन मेहनत करने से पहले थोड़ी देर आराम करके, उसके बाद उठकर दूध बेचने का उसने निर्णय किया और तुरन्त एक पेड़ के नीचे बैठ गया। बैठे बैठे वो धनवान बनने की तरकीबें सोचने लगा। उसने सोचा, सबसे पहले इस हाँडी भर दूध को बेच देगा, इससे उसे जो पैसे मिलेंगे वो उन पैसों से कुछ मुर्गियां खरीद लेगा और अपने घर के सामने मुर्गियों का एक दढ़बा बनाएगा।
मुर्गियां ढेर सारे अंडे देंगी, उन अंडों से बहुत सारे चूजे निकलेंगे, फिर चूजे बड़े होकर मुर्गी या मुर्गे बनेंगे । मुर्गियां फिर से अंडे देगी और मुर्गों में से कुछ मुर्गे वो बेच देगा। मुर्गियां फिर से अंडे देगी और वो अंडों का व्यापार शुरू कर देगा। कुछ ही दिनों में उसका व्यापार देश विदेश में फैल जाएगा और वो आमिर आदमी बन जाएगा। अमीर बनते ही वो अपनी टूटी फूटी झोपड़ी गिरा कर वहाँ एक सुन्दर महल बना लेगा। महल के आगे वो एक बढ़िया बगीचा बनाएगा और मौज मस्ती से जीएगा । फिर उसे कोई निकम्मा निठल्ला और आलसी नहीं कह पाएगा। अगर किसी ने उसे आलसी कहा तो वो उसे उठाकर यूँ पटक देगा। यह सोचते ही लड़के ने जोश में आकर अपने हाथ की दूध भरी हाँडी को जमीन पर जोर से पटक दिया। जमीन पर गिरते ही हाँडी फ़ूट गई और सारा दूध बह गया। लड़के का ख्याली सपना टूट गया और वो हाथ मलता रह गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो ख्याली पुलाव पकाना छोड़ पढ़ाई लिखाई के साथ मेहनत भी करना चाहिए।
-सुलेना मजुमदार अरोरा
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