/lotpot/media/media_files/nelson-rolihlahla-mandela.jpg)
नेल्सन मंडेला का जीवन : नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और विश्वभर में समानता और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, केप प्रांत, दक्षिण अफ़्रीका, के एक छोटे से गाँव में हुआ था। मंडेला का पूरा नाम रोलिहलाहला मंडेला (Nelson Rolihlahla Mandela) था, जो बाद में नेल्सन मंडेला के नाम से प्रसिद्ध हुए।
बचपन और शिक्षा
मंडेला का प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशनरी स्कूल से प्राप्त की और बाद में South African Native College (Later The University of Fort Hare) में दाखिला लिया। यहां पर उन्होंने कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही वे नस्लीय भेदभाव और अन्याय के खिलाफ जागरूक हो गए थे।
राजनीतिक जीवन और संघर्ष
मंडेला ने 1943 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने रंगभेद (अपार्थेड) के खिलाफ आवाज उठाई, जो उस समय दक्षिण अफ्रीका की सरकार द्वारा लागू किया गया था। रंगभेद नीति के तहत, गैर-श्वेत लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया था।
1952 में मंडेला ने 'रंगभेद कानून' की शुरुआत की, जो एक अहिंसात्मक आंदोलन था। उनके इस प्रयास ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई।
जेल और संघर्ष
नेल्सन मंडेला को उनके संघर्ष के कारण 1962 में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई। उन्होंने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए, जिसमें से अधिकांश समय उन्होंने रॉबेन द्वीप की कठोर जेल में बिताया। जेल में रहते हुए भी मंडेला ने अपने संघर्ष को जारी रखा और अपने समर्थकों को संगठित करने का प्रयास किया।
रिहाई और राष्ट्रपति पद
11 फरवरी 1990 को नेल्सन मंडेला को जेल से रिहा किया गया। रिहाई के बाद उन्होंने अपने देश को नस्लीय भेदभाव से मुक्त कराने का संकल्प लिया। 1994 में दक्षिण अफ्रीका में पहली बार बहुजातीय चुनाव हुए, जिसमें मंडेला ने जीत हासिल की और देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
उनकी सरकार ने समानता, न्याय, और सुलह की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को एकजुट करने के लिए "सत्य और सुलह आयोग" का गठन किया, जिसने मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच की और सुलह के प्रयास किए।
योगदान और विरासत
नेल्सन मंडेला ने न केवल दक्षिण अफ्रीका में बल्कि पूरे विश्व में न्याय, समानता, और मानवाधिकारों की लड़ाई को नई दिशा दी। उन्हें 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंडेला के जीवन और संघर्ष ने उन्हें एक ऐसा नायक बना दिया, जिनकी गाथा युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी।
5 दिसंबर 2013 को मंडेला का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और संघर्ष आज भी जीवित हैं। नेल्सन मंडेला ने हमें सिखाया कि सच्ची स्वतंत्रता केवल व्यक्तिगत स्वार्थ से नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय और समानता की लड़ाई से प्राप्त होती है। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि कठिनाई कितनी भी बड़ी हो, अगर संकल्प और संघर्ष मजबूत है, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार
- जब तक काम खत्म ना हो जाये उसे करना असंभव लगता है।
- व्यक्ति की अच्छाई एक ऐसी लौ है, जो छुप तो सकती है पर कभी बुझ नहीं सकती।
- सबसे बड़े गर्व की बात कभी ना गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है।
- शिक्षा सबसे मबजूत हथियार है जिससे दुनिया को बदला जा सकता है।
- हर व्यक्ति के लिए रोटी, कपडा, मकान के साथ काम भी होना चाहिए।
- मुझे सफलताओं से मत आँकिए, बल्कि जितनी बार गिरा हूँ और गिरकर उठा हूँ उस बल पर आँकिए।
- मैंने ये जाना है कि डर का ना होना साहस नही है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है, बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता, बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है।