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प्रसून जोशी (Prasoon Joshi), भारत के सबसे प्रमुख और चर्चित गीतकारों में से एक हैं। उनकी रचनात्मकता न केवल फिल्मों तक सीमित रही, बल्कि उन्होंने विज्ञापन, कविताओं और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कामों के माध्यम से भी अपनी पहचान बनाई। इस लेख में हम जानेंगे कि प्रसून जोशी कैसे बच्चों और बड़ों को प्रेरित करते हैं और उनकी जीवन यात्रा के प्रमुख पड़ाव।
Prasoon Joshi: एक संक्षिप्त परिचय
प्रसून जोशी एक प्रसिद्ध भारतीय गीतकार, लेखक, और विज्ञापन विशेषज्ञ हैं। उनका जन्म 16 सितंबर 1971 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था। साहित्यिक और सांस्कृतिक माहौल में पले-बढ़े प्रसून ने बचपन से ही लेखन में रुचि दिखाई। आज वे न केवल हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय गीतकार हैं, बल्कि बच्चों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।
प्रसून जोशी का बचपन और शिक्षा
प्रसून का बचपन उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में बीता। उनके माता-पिता संगीत और शिक्षा से जुड़े थे, जिससे उनका रुझान साहित्य और कला की ओर हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय से पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की, लेकिन उनकी असली पहचान लेखन और सृजनात्मकता में निखरी।
प्रसून जोशी का सृजनात्मक सफर
प्रसून जोशी ने विज्ञापन की दुनिया में अपना करियर शुरू किया और यहां भी उन्होंने कई सफल कैंपेन तैयार किए। उनके द्वारा लिखे गए विज्ञापन न केवल क्रिएटिव थे बल्कि उनमें सामाजिक संदेश भी होते थे। उन्होंने पेप्सी और कोकाकोला जैसी बड़ी कंपनियों के लिए कैंपेन किए।
इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की दुनिया में कदम रखा, जहां उन्होंने तारे ज़मीन पर, भाग मिल्खा भाग, रंग दे बसंती, और दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में अपने गीतों के माध्यम से नई पहचान बनाई। उनके लिखे गीतों में गहरी भावनाएं होती हैं, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी को प्रेरित करती हैं।
प्रसून जोशी की महत्वपूर्ण कृतियाँ
- फिल्मी गीत: प्रसून ने बॉलीवुड को कई सुपरहिट गीत दिए हैं जैसे "मां" (तारे ज़मीन पर), "मसकली" (दिल्ली 6), और "रंग दे बसंती"।
- कविता संग्रह: प्रसून जोशी की कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन मिलता है। उनकी कविताएँ बच्चों को भी प्रेरित करती हैं।
- विज्ञापन जगत में योगदान: प्रसून जोशी के लिखे विज्ञापन जैसे "थोड़ा और विश करो" (पेप्सी) और "दम लगा के हईशा" (जॉन्सन एंड जॉन्सन) ने बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित किया।
Prasoon Joshi और बच्चों के लिए प्रेरणा
प्रसून जोशी के गीत और कविताएँ बच्चों को सकारात्मकता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उनका मानना है कि बच्चों में रचनात्मकता और सृजनात्मकता को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। "मां" जैसा गीत बच्चों को माता-पिता के प्रति सम्मान सिखाता है, और "रंग दे बसंती" युवाओं को देशभक्ति के प्रति प्रेरित करता है। उनके लेखन में एक सकारात्मक संदेश होता है जो बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
पुरस्कार और सम्मान
प्रसून जोशी को उनकी रचनात्मकता के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पद्मश्री जैसे सम्मान से नवाजा गया है। उनकी कविता और गीत लेखन की गहराई ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक अनमोल सितारा बना दिया है।
प्रसून जोशी का समाज के प्रति योगदान
प्रसून ने सामाजिक मुद्दों पर भी काम किया है, जैसे बाल अधिकार, महिला सशक्तिकरण, और पर्यावरण संरक्षण। उनके द्वारा लिखे गए विज्ञापन और गीत सामाजिक जागरूकता फैलाने में मदद करते हैं। वे मानते हैं कि एक लेखक के रूप में उनका कर्तव्य समाज के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
प्रसून जोशी सिर्फ एक गीतकार या लेखक नहीं हैं, वे समाज के प्रति जागरूक एक सृजनशील व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भारत और दुनिया को नई दिशा दी है। उनके द्वारा रचित गीत और कविताएँ बच्चों और युवाओं को जीवन के प्रति प्रेरित करती हैं, और हमें सिखाती हैं कि सृजनात्मकता के माध्यम से हम दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।