एक अच्छी कहानी : फ़कीर राजा

किसी राज्य का राजा अचानक गुजर गया। पूरे दरबार में खलबली मच गई कि अब नया राजा कौन होगा? राज्य के मंत्री और दरबारी गहन विचार में पड़ गए। तभी महल के बाहर से एक फ़कीर गुजर रहा था।

New Update
A good story Fakir Raja

किसी राज्य का राजा अचानक गुजर गया। पूरे दरबार में खलबली मच गई कि अब नया राजा कौन होगा? राज्य के मंत्री और दरबारी गहन विचार में पड़ गए। तभी महल के बाहर से एक फ़कीर गुजर रहा था। किसी मंत्री ने सुझाव दिया, "इस फ़कीर को राजा बना देते हैं। इसका न कोई परिवार है, न कोई निजी स्वार्थ। शायद यह राज्य के लिए सही साबित हो।"

फ़कीर को महल में बुलाया गया। पहले तो उसने इंकार किया, लेकिन ज्यादा ज़ोर देने पर वह मान गया। उसे राजा घोषित कर दिया गया। अब फ़कीर की किस्मत बदल गई। रेशम के कपड़े, मखमल के बिस्तर, स्वादिष्ट पकवान, और दरबारियों का आदर-सत्कार। फ़कीर के दिन अब मजे में बीतने लगे।

लेकिन, फ़कीर की लापरवाही ने राज्य पर खतरा मंडरा दिया। उसे दरबार और जनता की चिंता छोड़, पूरा दिन दरबारियों के साथ चोपड़ खेलने में बिताना ज्यादा भाता।

पड़ोसी राजा का हमला

पड़ोसी राज्य के राजा को खबर मिली कि एक फ़कीर राज्य का राजा बन गया है और वह पूरे दिन चोपड़ खेलने में मग्न रहता है। उसने सोचा, "ऐसे राज्य को जीतना तो बेहद आसान है।" और उसने अपनी सेना के साथ राज्य पर हमला कर दिया।

राज्य के सेनापति घबराकर फ़कीर के पास पहुंचे और बोले,
"महाराज! दुश्मन की सेना हमारे राज्य पर हमला करने आ रही है। कुछ कीजिए!"
फ़कीर ने जवाब दिया, "घबराओ मत, कुछ नहीं होगा। पहले मैं अपनी चोपड़ की बाजी पूरी कर लूं।"

कुछ समय बाद सेनापति फिर आया और कहा,
"महाराज! सेना महल के दरवाजे तक पहुंच गई है। अब तो कुछ कीजिए!"
फ़कीर ने फिर वही जवाब दिया, "घबराओ मत। कुछ नहीं होगा। पहले मुझे खेल खत्म कर लेने दो।"

अंततः सेनापति आखिरी बार दौड़ता हुआ आया और चीखते हुए बोला,
"महाराज! दुश्मन की सेना महल के अंदर घुस चुकी है। अब तो कुछ कीजिए!"
फ़कीर हंसा और बोला,
"सेना महल में घुस गई तो घुस गई। मेरे कौन से बाल-बच्चे रो रहे हैं? मैं तो एक फ़कीर हूं। अपना झोला उठाऊंगा और चल दूंगा।"

यह कहकर फ़कीर ने अपना झोला उठाया, झंडी थामी, और महल की खिड़की से कूदकर गायब हो गया।


सीख:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जिम्मेदारी का पद लेने के बाद उसे निभाने का दायित्व भी हमारा होता है। अगर हम अपने कर्तव्यों को अनदेखा करेंगे, तो इसका खामियाजा दूसरों को भुगतना पड़ेगा।
इसके अलावा, यह भी समझें कि नेतृत्व का मतलब मजे करना नहीं, बल्कि जनता और राज्य की रक्षा करना है। कर्तव्यनिष्ठा के बिना नेतृत्व विफल है।

और पढ़ें कहानी  (Hindi Story): 

क्रिसमस का असली संदेश: इंसानियत और सेवा की सीख

Motivational Story : पंखों से नहीं, हौसले से उड़ान होती है

सीख देती कहानी : सबसे कीमती माॅडल

Motivational Story - मनोहर की बुद्धिमानी

#Hindi Moral Stories #hindi moral stories for kids #bachon ki moral story #bachon ki hindi moral story #bachon ki moral kahani #hindi moral kahani #Hindi Moral Story