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हम अक्सर बाहरी चमक-धमक या मीठे फलों को देखकर किसी पेड़ की अहमियत तय करते हैं। लेकिन कुदरत का नियम अलग है। यह कहानी दो पड़ोसियों की है—एक रसीला आम का पेड़ और एक विशाल बरगद का पेड़। यह कहानी बच्चों को सिखाएगी कि जब जीवन में तूफ़ान आते हैं, तो 'सुंदरता' नहीं, बल्कि 'मजबूती' और 'अनुभव' काम आते हैं।
रसीले आम और बरगद की जटाएं (मुख्य कहानी)
एक नदी के किनारे दो पेड़ पास-पास खड़े थे। एक था आम का पेड़, जो हर साल मीठे और पीले आमों से लद जाता था। दूसरा था बरगद का पेड़, जो बहुत पुराना था और उसकी लंबी-लंबी जड़ें (जटाएं) हवा में लटकती हुई जमीन को छू रही थीं।
आम के पेड़ को अपनी लोकप्रियता पर बहुत घमंड था। वह अक्सर बरगद को चिढ़ाता, "देखो दादा! मेरे पास रोज बच्चे आते हैं, मुझे पत्थर मारकर मेरे फल मांगते हैं। मैं कितना सुंदर और काम का हूँ। और एक तुम हो, न कोई फल, न फूल... बस ये डरावनी जड़ें लटकाए खड़े हो। तुम तो बस जगह घेर रहे हो।"
बरगद का पेड़ मुस्कुराता और कहता, "बेटा, कुदरत ने जिसे जैसा बनाया है, उसके पीछे कोई न कोई 'लॉजिक' (तर्क) जरूर होता है। वक्त आने पर समझ जाओगे।"
भयानक तूफ़ान का आगमन
गर्मियों का मौसम खत्म हो रहा था और मानसून दस्तक दे रहा था। एक शाम अचानक मौसम बदला। आसमान काला पड़ गया और धूल भरी आंधी चलने लगी। यह कोई साधारण हवा नहीं थी, यह एक चक्रवात (Cyclone) था।
हवा की रफ़्तार इतनी तेज थी कि जंगल के कई कमजोर पेड़ उखड़कर गिरने लगे।
जड़ों का विज्ञान (Logic) और अस्तित्व की लड़ाई
आम का पेड़ फलों के भार से झुका हुआ था। उसका तना तो मजबूत था, लेकिन ऊपर का हिस्सा बहुत भारी था। तेज हवा के थपेड़ों ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया।
आम का पेड़ चिल्लाया, "दादा! मुझे बचाओ, मेरी कमर टूट रही है! मुझे लग रहा है मैं उखड़ जाऊंगा।"
बरगद का पेड़ भी हवा से जूझ रहा था, लेकिन वह स्थिर खड़ा था। क्यों?
क्योंकि बरगद की वो लटकती हुई जड़ें (Prop Roots), जिनका आम का पेड़ मजाक उड़ाता था, अब खंभों (Pillars) की तरह काम कर रही थीं। उन जटाओं ने जमीन को कसकर पकड़ रखा था, जिससे बरगद के पेड़ को चारों तरफ से सहारा मिल रहा था।
बरगद चिल्लाया, "बेटा, अपनी पत्तियों को सिकोड़ लो और झुक जाओ! अकड़ कर खड़े मत रहो, वरना टूट जाओगे।"
तूफ़ान के बाद की सुबह
रात भर तूफ़ान चला। सुबह जब शांति हुई, तो नजारा दुखद था।
आम का पेड़ बुरी तरह घायल था। उसकी कई बड़ी डालियां टूटकर गिर चुकी थीं और सारे फल कीचड़ में सने पड़े थे। वह झुक गया था और दर्द से कराह रहा था।
दूसरी तरफ, बरगद का पेड़ भी थका हुआ था, उसके कुछ पत्ते झड़ गए थे, लेकिन वह सीना ताने खड़ा था। उसकी अतिरिक्त जड़ों ने उसे गिरने से बचा लिया था।
घमंड का टूटना
आम के पेड़ ने रोते हुए कहा, "दादा, आप सही थे। मेरी सुंदरता (फल) ने मुझे भारी बना दिया और मुझे खतरे में डाल दिया। लेकिन आपकी ये बदसूरत दिखने वाली जड़ें ही आपकी असली ताकत बनीं।"
बरगद ने उसे प्यार से समझाया, "बेटा, फल दूसरों के लिए होते हैं, लेकिन जड़ें खुद के लिए होती हैं। जब तक तुम्हारी जड़ें और आधार मजबूत नहीं होंगे, बाहरी सुंदरता किसी काम की नहीं। तूफान बताकर नहीं आते, इसलिए तैयारी हमेशा रखनी चाहिए।"
Wikipedia Reference (तथ्य और संदर्भ)
बरगद के पेड़ की लटकती हुई जड़ों को विज्ञान में 'स्तम्भ मूल' (Prop Roots) कहा जाता है। ये जड़ें पेड़ को अतिरिक्त सहारा देती हैं, जिससे वह सैकड़ों सालों तक खड़ा रहता है।
अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें:
बरगद - विकिपीडिया
कहानी से सीख (Moral of the Story)
"बाहरी दिखावे पर मत जाओ, असली शक्ति हमारी बुनियाद और हमारे स्वभाव में होती है।"
निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि घर के बड़े-बुजुर्ग (जैसे बरगद का पेड़) अगर हमें कोई सलाह देते हैं, तो वह उनके अनुभव से आती है। हमें उनका मजाक उड़ाने के बजाय उनसे सीखना चाहिए। अकड़ आपको तोड़ सकती है, लेकिन विनम्रता और मजबूती आपको तूफ़ानों से बचा सकती है।
