बाल कहानी : लकड़ी का कटोरा

लकड़ी का कटोरा- एक बूढ़ा कमज़ोर आदमी अपने बेटे, बहू और चार साल के पोते के साथ रहता था। उस बूढ़े आदमी की बीमारी और बुढ़ापे के कारण हाथ कांपते थे। उनकी नज़र भी कमज़ोर हो चुकी थी और वह लड़खड़ाकर चलते थे।

New Update
Child Story Wooden bowl

Child Story Wooden bowl

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

लकड़ी का कटोरा- एक बूढ़ा कमज़ोर आदमी अपने बेटे, बहू और चार साल के पोते के साथ रहता था। उस बूढ़े आदमी की बीमारी और बुढ़ापे के कारण हाथ कांपते थे। उनकी नज़र भी कमज़ोर हो चुकी थी और वह लड़खड़ाकर चलते थे। हर रात को पूरा परिवार एक साथ खाना खाता था। परंतु बूढ़े आदमी के कांपते हुए हाथ और कमज़ोर नज़र उसके लिए खाने का काम और मुश्किल बना देते थे।

उसकी चम्मच से खाने के दाने ज़मीन पर गिरते थे। जब वह दूध पीता तो दूध उसके मेज पोश पर गिर जाता। उसका बेटा और बहू इस सबसे बहुत परेशान होते थे। एक दिन बेटे ने अपनी पत्नी से कहा, ‘हमें पिता जी के बारे में कुछ सोचना होगा। मैं उनके गिरते दूध, खाने की आवाज़ और ज़मीन पर गिरते खाने की वजह से बहुत परेशान हो गया हूं।’ इसलिए पति पत्नी ने घर के एक अलग कोने में पिता के खाने के लिए मेज़ लगा दी और अब पिता जी अकेले बैठकर खाना खाते थे जबकि दूसरी ओर पूरा परिवार पूरे आनंद के साथ खाना खाता था।

पिता जी को एक या दो व्यंजन ही परोसे जाते थे। उनको खाना भी लकड़ी के एक पुराने कटोरे में दिया जाता था। जब कभी पूरा परिवार पिता जी की तरफ देखता, तो पिता जी की आंखों में आंसू निकलने लगे क्योंकि वह अकेले बैठकर खाना खाते थे। परंतु अभी भी बेटा और बहू उन्हें काफी ताने सुनाते थे। बूढ़े आदमी का चार साल का पोता यह सब देख रहा था। 

एक शाम खाना खाने से पहले, बेटे ने अपने चार साल के बेटे को लकड़ी के फट्टों से खेलते हुए देखा। पिता ने बेटे से पूछा, ‘तुम क्या बना रहे हो?’ बेटे ने मासूमियत से उत्तर दिया, ‘ओह! मैं आपके और मां के लिए एक लकड़ी का कटोरा बना रहा हूं जिसमें मैं आप दोनों को खाना दिया करूंगा। जब मैं बड़ा हो जाऊंगा और आप बूढ़े हो जाएंगे, तो मैं आपको उसमें खाना दिया करूंगा।’ चार साल का बच्चा यह कहकर मुस्कुराया और अपना काम करने लग गया।

उसके माता पिता यह सुनकर निशब्द हो गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। तब उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने अपने बूढ़े पिता के साथ कितना गलत किया है। उस शाम बुज़ुर्ग के बेटे ने अपने पिता का हाथ पकड़कर वापिस उन्हें परिवार के साथ खाने के लिए कुर्सी पर बिठाया।

अपने बचे हुए दिनों में पिता ने परिवार के साथ ही खाना खाया और उनके बेटे बहू ने भी उनकी सारी गलतियों को नज़र अंदाज़ कर दिया जैसे चम्मच का हाथ से फिसलना, दूध गिरना या मेज़पोश गंदा होना।

Tags : bachon ki hindi motivational story | bachon ki motivational story | Hindi Motivational Stories | Hindi Motivational Story | hindi motivational story for kids | Kids Hindi Motivational Stories | Kids Hindi Motivational Story | kids motivational stories 

यह कहानी हमें तीन महत्वपूर्ण सबक सिखाती है:

  1. बुजुर्गों का सम्मान हमारी संस्कृति की नींव है: जिस तरह बच्चे माता-पिता के व्यवहार की नकल करते हैं, उसी तरह हमारे बुजुर्गों के साथ व्यवहार भी हमारी अगली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण बनता है।

  2. संवेदनशीलता का महत्व: बूढ़े पिता के आँसू हमें याद दिलाते हैं कि उम्र के साथ शारीरिक कमजोरी स्वाभाविक है, लेकिन भावनात्मक अपमान नहीं।

  3. कर्मों का चक्र: जैसा हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमारे साथ होता है। बच्चे का लकड़ी का कटोरा बनाना इस बात का प्रतीक है कि हमारे आज के कर्म कल हमारे भविष्य को आकार देंगे।

 और पढ़ें कहानी:

अध्यापक का भी अध्यापक: प्रेरक कहानी

मोती मुर्गी और लालची मालिक: एक प्रेरणादायक कहानी

सोनू और क्रिकेट का जूनून: एक प्रेरणादायक नैतिक कहानी

🌟 स्वर्ग और नरक: सोच का फर्क – A Powerful Motivational Story in Hindi

#kids motivational stories #Kids Hindi Motivational Story #Kids Hindi Motivational Stories #hindi motivational story for kids #Hindi Motivational Story #Hindi Motivational Stories #bachon ki motivational story #bachon ki hindi motivational story