बाल कहानी : जैसा कार्य वैसा बल

नर्मदा नदी के किनारे एक गांव था - कमलपुर। वहां एक बुढ़िया रहती थी, जिसका एक ही बेटा था - विक्रम। वह बेहद बलशाली था। हर कोई उसकी ताकत से डरता था,

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जैसा कार्य वैसा बल- नर्मदा नदी के किनारे एक गांव था - कमलपुर। वहां एक बुढ़िया रहती थी, जिसका एक ही बेटा था - विक्रम। वह बेहद बलशाली था। हर कोई उसकी ताकत से डरता था, मगर वह अपने बल का उपयोग हमेशा दूसरों की बुराई करने में करता था। भलाई के कार्यों में उसने कभी रुचि नहीं दिखाई। फलस्वरूप, गांव के लोग उससे नफरत करते थे।

विक्रम को अपने बल का बड़ा घमंड था। एक दिन गांव में एक साधु आया। साधु ने आसपास के लोगों से विक्रम के बारे में सुना और उससे मिलने का निश्चय किया। साधु विक्रम के घर पहुंचा और वहां जाकर उसने उसे प्रणाम किया।

साधु से विक्रम ने पूछा, "आप मेरे घर कैसे आए? मैं आपकी क्या सेवा करूं?"
साधु ने कहा, "सुना है कि तुम बहुत बलशाली हो।"
विक्रम ने गर्व से कहा, "हां, सही सुना है।"
साधु ने आगे कहा, "मैं चाहता हूं कि तुम्हारा बल और बढ़े और तुम्हारी ख्याति चारों ओर फैले।"
यह सुनकर विक्रम उत्साहित हो गया और बोला, "इसके लिए मुझे क्या करना होगा?"

साधु ने कहा, "एक काम करो। पास के कुएं से एक बाल्टी में पानी भरकर लाओ।"
विक्रम तुरंत बाल्टी और डोर लेकर कुएं पर गया और पानी भरकर ले आया।

साधु ने उससे पूछा, "बताओ, खाली बाल्टी को कुएं में डालने और पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने में ज्यादा बल किसमें लगा?"
विक्रम ने जवाब दिया, "पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने में ज्यादा बल लगता है।"

साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "अब इसे इस तरह समझो। खाली बाल्टी को गिराने का मतलब है किसी की बुराई करना, जो बहुत आसान है। वहीं, पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने का मतलब है किसी की भलाई करना, जो कठिन है। अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी ताकत बढ़े और तुम्हारी ख्याति दूर-दूर तक फैले, तो तुम्हें बुराई करना छोड़कर भलाई के कार्यों में अपनी ताकत लगानी होगी।"

विक्रम ने गहराई से इस बात को सुना और साधु से वादा किया, "अब मैं अपने बल का उपयोग केवल अच्छे कार्यों में करूंगा।"

साधु ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा, "याद रखना, जैसा कार्य करोगे, वैसा ही बल और सम्मान पाओगे।"


सीख:

"जैसा कार्य करोगे, वैसा ही बल और सम्मान मिलेगा। बुराई करना आसान है, लेकिन भलाई करना ही सच्ची ताकत और सफलता का आधार है।"

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