अच्छी कहानी : बाबू और बिक्रम - मिथिला नाम का एक देश था। उस देश में एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। उसी जंगल में एक शेर था जो उन लोगों को खा जाता था जो उस जंगल में प्रवेश करते थे। सभी लोगों ने उस जंगल में जाना बंद कर दिया। उसके बाद शेर ने पास के गांव में जाना शुरू कर दिया। वो गांव में जाकर लोगों को मारने लगा। मिथिला के राजा ने ऐलान किया कि जो भी इस शेर को मार गिराएगा वो उसे इनाम देंगे। बहुत लोगों ने उसे मार गिराने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया। मिथिला में ही एक गरीब इंसान रहता था। उसके दो बेटे थे, बाबू और बिक्रम।
बाबू बहुत ही अच्छा था, समझदार और धार्मिक बच्चा था, वहीं, बिक्रम बहुत ही स्वार्थी और खडूश किस्म का लड़का था। दोनों राजा के पास गए और उस शेर को मारने की बात आज्ञा ली। राजा ने दोनों को मौका दिया। राजा ने उन्हें जंगल के पीछे से अंदर जाने की सलाह दी।
बाबू जैसे ही जंगल के अंदर गया जंगल का भगवान उसके सामने आया और उसे एक तीर दिया। उन्होंने बाबू से कहा, तुम एक अच्छे लड़के हो, इसलिए मैं तुम्हे ये दे रहा हूं। अगर तुम इस तीर से शेर का शिकार करोगे वो जरूर मर जाएगा। बाबू भगवान के पैरों में झुककर उनसे तीर लेने लगा।
जैसे ही उसने शेर को देखा और तीर चलाया, शेर मर गया। उसने शेर की पूंछ काटी और अपने साथ ले गया। ताकि सबको यकीन हो जाए उसने ही शेर को मार गिरायाहै। रास्ते में उसे उसका भाई बिक्रम मिला, बिक्रम बाबू से जलने लगा और कहा, चलो मैं भी तुम्हारे साथ राजा के पास चलता हूं।
राजा के पास जाने के लिए उन्हें एक नदी पार करनी थी, जैसे ही वे नदी पार कर रहे थे बिक्रम ने बाबू को नदी में धकेल दिया और शेर की पूंछ लेकर राजा के पास चला गया। राजा बहुत खुश हुआ ये सुनकर कि शेर मर गया है। राजा ने सोचा कि शेर को बाबू ने मार गिराया होगा। राजा की बेटी बिमार थी, इसलिए राजा ने कहा कि, वे बिक्रम से बेटी की शादी छह महीने बाद कराएंगे। बिक्रम महल में रहने लगा और उसे जो चाहिए था वो सब मिलने लगा।
एक बार एक शिकारी नदी पार कर रहा था, ये वही नदी थी जिसमें बिक्रम ने बाबू को धक्का दे दिया था। शिकारी को उस पानी में एक हड्डी तैरती हुई दिखाई दी, उसने खेलने के लिए उसे हाथों में उठाया। हड्डी गाने लगी। ‘ शेर महान है, बाबू ने शेर को मार गिराया, बिक्रम गंदा है।
शिकारी उस हड्डी को लेकर राजा के पास गया। राजा को पूरी कहानी तुरंत समझ आ गई। बिक्रम को जेल भेज दिया गया। राजा और उनकी बेटी उसी नदी के किनारे गए और उन लोगों ने बाबू के शव पर फूल चढ़ाए और उसे श्रद्धांजलि अर्पित की। तभी बाबू जाग उठा। जंगल के भगवान ने उसे बचा लिया।
बाबू ने छोटी रानी से शादी रचा ली और खुशी से जीवन बिताने लगे। कुछ सालों बाद बाबू मिथिला का राजा बन गया।
इस कहानी से हमें कई शिक्षाएँ मिलती हैं:
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सद्गुण और ईमानदारी का महत्व:
बाबू का अच्छा स्वभाव, धार्मिकता, और ईमानदारी उसे भगवान की कृपा दिलाती है और अंततः उसकी जीत होती है। यह सिखाता है कि अच्छे कर्म और सच्चाई का फल अवश्य मिलता है। -
ईर्ष्या और स्वार्थ का बुरा परिणाम:
बिक्रम की ईर्ष्या और स्वार्थ उसे धोखेबाज बना देते हैं, लेकिन अंत में उसे अपने गलत कामों का दंड भुगतना पड़ता है। यह दर्शाता है कि दूसरों के साथ बुरा करने वाले को एक न एक दिन अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। -
धैर्य और निष्ठा की शक्ति:
बाबू ने भगवान पर विश्वास रखते हुए धैर्य और निष्ठा के साथ अपना काम पूरा किया। यह हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और निष्ठा बनाए रखना चाहिए। -
न्याय की जीत:
राजा ने सही समय पर न्याय किया और बिक्रम को दंडित किया। यह सिखाता है कि सत्य और न्याय हमेशा जीतते हैं। -
बुराई का अंत निश्चित है:
चाहे बुराई कितनी ही ताकतवर क्यों न लगे, अंत में उसका नाश हो जाता है। ईमानदार और सच्चे लोगों को ही सफलता मिलती है।
इस कहानी का मूल संदेश यह है कि सत्य, ईमानदारी और अच्छे कर्म हमेशा हमें सफलता और सम्मान दिलाते हैं, जबकि स्वार्थ, धोखेबाजी और बुरे कर्मों का परिणाम हमेशा नकारात्मक होता है।
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