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Happiness and sorrow is the heart of the mind inspiring story
"सुख और दुःख मन की देन है" – प्रेरणादायक कहानी:- एक गुरु के दो शिष्य थे, जो दोनों ही किसान थे। वे ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे और स्वच्छता एवं सादगी को महत्व देते थे। हालांकि, दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होते हुए भी उनमें एक बड़ा सुखी था, जबकि दूसरा हमेशा दुखी रहता था।
समय बीता और गुरु की मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद दोनों शिष्यों का भी देहांत हो गया और वे स्वर्गलोक पहुँचे। संयोग से, तीनों को स्वर्ग में एक ही स्थान पर रहना नसीब हुआ। परंतु वहाँ भी दोनों शिष्यों की स्थिति पहले जैसी ही रही। जो शिष्य धरती पर प्रसन्नचित्त था, वह स्वर्ग में भी आनंदित था। वहीं, जो शिष्य हमेशा दुखी और अशांत रहता था, उसने स्वर्ग में भी अशांति का अनुभव किया।
आखिरकार, दुखी शिष्य गुरुदेव के पास पहुँचा और बोला, "भगवान! लोग कहते हैं कि ईश्वर भक्ति से स्वर्ग में सुख मिलता है, लेकिन यहाँ भी मैं पहले की तरह ही दुखी क्यों हूँ?"
गुरु ने गंभीरता से उत्तर दिया, "वत्स! ईश्वर भक्ति से स्वर्ग तो मिल सकता है, लेकिन सुख और दुःख मन की देन हैं। यदि मन शुद्ध और शांत है, तो नरक में भी सुख मिलेगा, और यदि मन अशांत है, तो स्वर्ग में भी कोई आनंद नहीं मिलेगा।"
शिक्षा:
यह कहानी हमें सिखाती है कि सुख और दुःख बाहरी परिस्थितियों पर नहीं, बल्कि हमारे मन की अवस्था पर निर्भर करते हैं। यदि हम अपने विचारों को सकारात्मक बनाए रखें, तो हम किसी भी स्थिति में सुखी रह सकते हैं।
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