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Learning story - Raja or thief Photograph: (Learning story - Raja or thief)
राजा या चोर- एक मां अपने बेटे के साथ बाजार जा रही थी। उसी समय उस बाजार से कुछ सिपाही एक चोर को लेकर जा रहे थे। बेटे ने मां से पूछा, 'मां वो कौन है? उसके आस-पास सिपाही क्यों हैं?'
मां ने कहा, 'वो एक चोर है। सिपाही उसे पकड़ कर ले जा रहे हैं, ताकि उसे जेल में बंद करें।'
थोड़ा आगे जाने पर नगर का राजा सामने आता नजर आया। उसके आस-पास भी बहुत सिपाही थे। बेटे ने तुरंत मां से कहा, 'मां, देखो सिपाही और एक चोर को ला रहे हैं।'
मां ने हलकी आवाज में कहा, 'धीमे बोलो बेटा, वह राजा है। ऐसी बात करने पर हमें दंड दे सकते हैं।'
बेटे ने कहा, 'मां क्या फर्क है? राजा के आस-पास भी सिपाही हैं और चोर के आस-पास भी।'
मां ने कहा, 'जमीन-आसमान का फर्क है। उस चोर के आस-पास जो सिपाही हैं, वे चोर को काबू में रखते हैं, अगर वह भागने की कोशिश करे तो उसे और भी सख्त सजा मिल सकती है। सिपाही चोर को जो खाने को दें, उसे खाना होगा। जहां रहने को ले जाएं, वहां रहना होगा। इसके विपरीत, वे सारे सिपाही राजा के काबू में हैं। राजा जो बोले, वह उन्हें करना होगा। अगर राजा कहे मुझे अकेला छोड़ दो तो सिपाहियों को राजा का कहना मानना होगा।'
ऐसे ही हमारा मन, हमारी भावनाएं, हमारे विचार या हमारी इंद्रियां सिपाही हैं। अगर हम उनके काबू में हैं तो हम चोर हो गए और हमें अपने मन, विचार और इंद्रियों के वश में होकर जीवन जीना पड़ेगा। और अगर वे हमारे काबू में हों तो हम राजा की तरह जीवन जी पाएंगे।
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