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मतलबी सोच की सजा - एक बार की बात है, भारत के तराई क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ गया। वहां के पक्षियों का राजा, जो हिमालय पर रहता था, ने सभी पक्षियों को खाने की खोज में भेज दिया। उसने कहा, "जाओ और खाने का जुगाड़ करो और वापस आओ, ताकि हम सब मिलकर उसे बांटकर खा सकें।"
सभी पक्षी उड़ गए, लेकिन राजा का भांजा, जैक्विटा, जो कि एक युवा और चतुर पक्षी था, उसने देखा कि एक गाड़ी अनाज से भरी जा रही है। उसने सोचा कि यह सिर्फ उसके लिए ही एक अवसर है और फैसला किया कि वह इस बारे में किसी को नहीं बताएगा। लेकिन, उसके मन में एक डर भी था कि अगर यह बात किसी को पता चल गई, तो सब कुछ बिगड़ जाएगा।
इसलिए, जब राजा ने पूछा कि उसे खाने को कुछ मिला या नहीं, तब जैक्विटा ने झूठ बोलने का निश्चय किया। उसने राजा को बताया कि उसने हाईवे पर खतरनाक जानवरों को देखा, जो अनाज को खींच रहे थे। उसने कहा कि वहां बहुत खतरा है और अगर कोई भी वहां जाएगा तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। सभी पक्षी डर गए और उसकी बातों में आ गए।
जैक्विटा खुद वापस उस स्थान पर गया जहां उसे अनाज मिला था। लेकिन उसकी चालाकी और स्वार्थ ने उसे बड़ी मुश्किल में डाल दिया। जब वह अनाज लेने जा रहा था, तभी एक भारी गाड़ी तेजी से आई और उसे कुचलने की कगार पर थी। जैक्विटा डर के मारे चिल्लाया, लेकिन उड़ नहीं पाया क्योंकि वह बहुत थक चुका था।
मतलबी सोच की सजा कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि स्वार्थी होना और दूसरों से जानकारी छुपाना कभी-कभी बड़ी मुसीबत को न्योता दे सकता है। जैक्विटा की मतलबी सोच ने न केवल उसे संकट में डाला बल्कि उसकी जान को भी खतरे में डाल दिया। इसलिए हमें हमेशा सच्चाई और साझेदारी की भावना को महत्व देना चाहिए।
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