संगठन शक्ति: एकता में है बल : एक बार हाथ की पाँचों उंगलियों में आपस में झगड़ा हो गया। सभी खुद को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सिद्ध करने में लगी थीं। अंगूठा बोला, "मैं सबसे बड़ा हूँ क्योंकि लोग हस्ताक्षर करने के लिए मुझे इस्तेमाल करते हैं।"
पहली उंगली ने कहा, "मैं सबसे महत्वपूर्ण हूँ क्योंकि इंसान की पहचान के लिए मुझे काम में लिया जाता है।"
मध्यमा उंगली ने कहा, "मैं सबसे लंबी हूँ, इसलिए मैं सबसे बड़ी हूँ।"
अनामिका बोली, "मैं सबसे अमीर हूँ क्योंकि लोग मुझे हीरे-जवाहरात और अंगूठी पहनाते हैं।"
सबसे छोटी उंगली ने भी अपनी अहमियत जताई।
जब झगड़ा नहीं सुलझा, तो वे अदालत पहुँची। न्यायाधीश ने सभी की बात सुनी और उन्हें अपनी ताकत साबित करने को कहा। उसने एक रसगुल्ला मँगवाया और अंगूठे से कहा कि इसे उठाए। अंगूठा कोशिश करता रहा, लेकिन रसगुल्ला नहीं उठा पाया।
फिर एक-एक करके सभी उंगलियों ने कोशिश की, लेकिन वे असफल रहीं।
तब न्यायाधीश ने सभी उंगलियों को मिलकर रसगुल्ला उठाने को कहा। जैसे ही उन्होंने एक साथ प्रयास किया, रसगुल्ला आसानी से उठ गया।
न्यायाधीश ने कहा, "तुम सभी एक-दूसरे के बिना अधूरे हो। अकेले रहकर तुम्हारी ताकत का कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन संगठित होकर तुम कठिन से कठिन कार्य कर सकते हो।"
सभी उंगलियों ने यह बात समझी और खुशी-खुशी साथ रहने का संकल्प लिया।
सीख:
"एकता में शक्ति है।" संगठित होकर हम असंभव कार्य भी आसानी से कर सकते हैं। एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, लेकिन मिलकर हम बड़ी से बड़ी मुश्किलों को हल कर सकते हैं।
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