/lotpot/media/media_files/2025/01/21/2MZ6IUnJjicyoI7rNOcs.jpg)
(Motivational Story ) मेहनत से पहचान - विख्यात दार्शनिक एरिक हाॅफर बचपन से ही काफी मेहनती और स्वाभिमानी थे। वह कठिन से कठिन काम करने से भी नहीं घबराते थे। उनका मानना था कि मेहनत से ही असली पहचान बनती है। काम करते समय उन्हें यह परवाह नहीं होती थी कि उन्होंने खाना खाया है या नहीं।
एक बार उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। उनका काम छूट गया और अनेक प्रयासों के बाद भी उन्हें कहीं रोजगार नहीं मिला। लेकिन पेट तो भरना ही था। तीन-चार दिन तक भूखे रहने के बाद हाॅफर का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। भूख से व्याकुल हाॅफर किसी काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे।
तभी उन्हें एक होटल दिखा। भूख से बेहाल हाॅफर उस होटल में चले गए। होटल के मालिक ने उन्हें देखा और पहचान लिया। वह उनके लेखन का प्रशंसक था और उनके लेखों से प्रेरणा ले चुका था। होटल मालिक ने बडे प्रेम से हाॅफर से पूछा, “आप भोजन में क्या लेंगे?”
एरिक हाॅफर ने कहा, “मैं भूखा तो हूँ और भोजन करना चाहता हूँ, लेकिन मेरे पास एक शर्त है।” यह सुनकर होटल मालिक ने पूछा, “बताइए, मैं आपकी शर्त मानने के लिए तैयार हूँ।”
हाॅफर बोले, “भोजन के बदले आप मुझसे कुछ काम अवश्य करवाइए। मैं निशुल्क भोजन नहीं करूंगा क्योंकि इस समय मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं मेहनत से कमाया हुआ ही खाना पसंद करता हूँ।”
होटल मालिक यह सुनकर हैरत में पड़ गया। लेकिन वह हाॅफर के स्वाभिमान और विचारों से प्रभावित हुआ। उसने उन्हें भरपेट खाना खिलाया। खाने के बाद हाॅफर ने कहा, “अब आप बताइए, मैं क्या काम कर सकता हूँ?”
होटल मालिक ने उन्हें वेटरों की तरह ग्राहकों को भोजन परोसने का काम दिया। हाॅफर ने बिना किसी झिझक के यह काम स्वीकार कर लिया और मन लगाकर काम किया। उन्होंने साफ-सफाई से लेकर परोसने तक हर काम ईमानदारी और उत्साह के साथ किया।
जब उनका काम पूरा हो गया, तो उन्होंने होटल मालिक का आभार व्यक्त किया और वहां से निकल गए। होटल मालिक उनके स्वाभिमान और मेहनती स्वभाव का कायल हो गया। उसने बाद में अपने दोस्तों को हाॅफर की इस कहानी के बारे में बताया और उनके स्वाभिमान की प्रशंसा की।
इस घटना ने हाॅफर को यह साबित करने में मदद की कि मेहनत और स्वाभिमान से बड़ी कोई दौलत नहीं होती। उन्होंने अपने स्वाभिमान और मेहनत के बल पर अपनी अलग पहचान बनाई।
कहानी से शिक्षा:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी परिस्थितियों के आगे झुकना नहीं चाहिए। मेहनत और स्वाभिमान के साथ किए गए काम से हमें न केवल आत्म-सम्मान मिलता है, बल्कि दूसरों का आदर भी प्राप्त होता है। हमेशा याद रखें, मेहनत का फल मीठा होता है।
और पढ़ें :
खेत में छिपा खजाना: मेहनत से मिलती है असली दौलत
मोटिवेशनल कहानी : चोटी की खोज - एक अनोखा रहस्य