प्रिंस की शरारत और सजा

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में प्रिंस नाम का लड़का रहता था। प्रिंस बहुत शरारती और चंचल था। उसकी हरकतें इतनी मजेदार होती थीं कि गांव के सभी बच्चे उसकी दोस्ती चाहते थे।

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Prince mischief and punishment

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प्रिंस की शरारत और सजा - एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में प्रिंस नाम का लड़का रहता था। प्रिंस बहुत शरारती और चंचल था। उसकी हरकतें इतनी मजेदार होती थीं कि गांव के सभी बच्चे उसकी दोस्ती चाहते थे। लेकिन प्रिंस की शरारतें कभी-कभी इतनी बढ़ जाती थीं कि लोग परेशान हो जाते थे।


प्रिंस की नई शरारत

एक दिन प्रिंस ने गांव के कुएं के पास एक बड़ा पत्थर रख दिया और ऊपर से मिट्टी डालकर उसे ढक दिया। उसने सोचा कि जब लोग वहां पानी भरने आएंगे, तो उनकी बाल्टी पत्थर से टकरा जाएगी और वह हंसी का मजा लेगा।

दोपहर में, गांव की एक बूढ़ी महिला वहां पानी भरने आई। जैसे ही उसने अपनी बाल्टी डाली, वह पत्थर से टकराकर पलट गई।
महिला (गुस्से में): "यह किसकी शरारत है? किसने यह पत्थर रखा है?"

लेकिन प्रिंस पास की झाड़ियों में छिपकर हंस रहा था। उसकी शरारत का यह सिलसिला दिनभर चला। हर बार जब कोई पानी भरने आता, तो बाल्टी टकराकर पलट जाती।


शरारत का बुरा नतीजा

अगले दिन गांव में एक बड़ा उत्सव था। गांववालों को पानी की बहुत जरूरत थी। लेकिन जब कई लोगों ने देखा कि कुएं से पानी नहीं आ रहा है, तो वे परेशान हो गए।
गांव के मुखिया (चिंतित होकर): "हमारे पास पानी नहीं होगा, तो त्योहार कैसे मनाएंगे?"

गांव के लोग परेशान हो गए। प्रिंस यह सब देख रहा था, लेकिन अब उसे अपनी शरारत पर पछतावा होने लगा।


सजा और सबक

प्रिंस ने खुद जाकर मुखिया को अपनी शरारत के बारे में बताया।
प्रिंस (शर्मिंदा होकर): "मुखिया जी, वह पत्थर मैंने रखा था। मुझे माफ कर दीजिए।"

मुखिया ने कहा,
मुखिया: "तुम्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, यह अच्छी बात है। लेकिन तुम्हें अपनी गलती सुधारनी होगी।"

मुखिया ने प्रिंस को सजा दी कि वह पूरे गांव के पानी की जरूरत पूरी करने में मदद करेगा। प्रिंस ने अपनी गलती सुधारने के लिए मेहनत की। उसने कुएं से पत्थर हटाया और पानी निकालने में सभी की मदद की।


प्रिंस में बदलाव

उस दिन के बाद प्रिंस ने कभी ऐसी शरारत नहीं की, जिससे किसी को नुकसान हो। वह हमेशा लोगों की मदद करने में आगे रहने लगा।
गांववाले (खुश होकर): "प्रिंस, तुमने अपनी गलती से बहुत बड़ा सबक सीखा है। अब हम सबको तुम पर गर्व है।"


कहानी से सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि शरारत में मजा तब तक है, जब तक वह किसी को नुकसान न पहुंचाए। अगर गलती हो जाए, तो उसे सुधारने और उससे सीखने का साहस रखना चाहिए।

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