गुरु की सेना में एक अनोखा सेवक

"सच्ची सेवा का सबक" कहानी में भाई कन्हैया जी गुरु गोविंद सिंह जी की सेना में पानी पिलाने की सेवा करते हैं। वे युद्ध के मैदान में दुश्मन सैनिकों को भी पानी पिलाते हैं, जिससे कुछ सैनिक नाराज़ होकर गुरु जी से शिकायत करते हैं

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The Story A Unique Servant in the Guru’s Army

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"गुरु की सेना में एक अनोखा सेवक" कहानी में भाई कन्हैया जी गुरु गोविंद सिंह जी की सेना में पानी पिलाने की सेवा करते हैं। वे युद्ध के मैदान में दुश्मन सैनिकों को भी पानी पिलाते हैं, जिससे कुछ सैनिक नाराज़ होकर गुरु जी से शिकायत करते हैं। भाई कन्हैया जी बताते हैं कि वे हर किसी में गुरु जी का ही रूप देखते हैं और बिना भेदभाव के सेवा करते हैं। गुरु जी उनकी बात से खुश होकर कहते हैं कि असली दुश्मन जुल्म है, न कि कोई इंसान। वे कन्हैया जी को मरहम-पट्टी के साथ सेवा करने का आदेश देते हैं। (Sacchi Seva Story Summary, Sikh Moral Tale)

गुरु की सेना में एक अनोखा सेवक (The Story: A Unique Servant in the Guru’s Army)

कई साल पहले की बात है, सिख गुरु गोविंद सिंह जी अपने अनुयायियों के साथ जुल्म के खिलाफ लड़ रहे थे। उनके दरबार में कई सेवक थे, लेकिन उनमें से एक खास सेवक थे—भाई कन्हैया जी। भाई कन्हैया जी का स्वभाव बहुत ही कोमल और प्यार भरा था। वे हमेशा गुरु जी की संगत में सेवा करते थे और हर किसी की मदद के लिए तैयार रहते थे। चाहे भूखे को रोटी देनी हो या प्यासे को पानी, वे कभी पीछे नहीं हटते थे।

एक बार गुरु गोविंद सिंह जी की सेना जंग के मैदान में जुल्म करने वालों के खिलाफ लड़ रही थी। उस भयानक युद्ध में भाई कन्हैया जी ने पानी की मशक उठाई और सैनिकों को पानी पिलाने निकल पड़े। वे नन्हे बच्चों की तरह मुस्कुराते हुए सैनिकों से कहते, "लो भाई, पानी पी लो! थक गए हो न!" लेकिन उनकी एक बात सैनिकों को अखर गई। भाई कन्हैया जी न सिर्फ़ गुरु जी की सेना को पानी पिलाते थे, बल्कि दुश्मन सैनिकों को भी पानी दे आते थे। वे कहते, "प्यास तो सबको लगती है, भाई! पानी पी लो, ताकत आ जाएगी।"

सैनिकों की शिकायत और गुरु का जवाब (The Soldiers’ Complaint and the Guru’s Response)

कुछ सैनिकों को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई। वे गुस्से में गुरु गोविंद सिंह जी के पास पहुँचे और बोले, "गुरु जी, ये भाई कन्हैया जी क्या कर रहे हैं? हम दुश्मनों से लड़ रहे हैं, और ये उन्हें पानी पिला रहे हैं! ये तो गलत है। इन्हें रोकिए!" गुरु जी ने शांत स्वर में कहा, "ठीक है, मैं उनसे बात करता हूँ। भाई कन्हैया जी को बुलाओ।"

जब भाई कन्हैया जी आए, तो गुरु जी ने उनसे पूछा, "कन्हैया जी, मैंने सुना है कि तुम हमारी सेना के साथ-साथ दुश्मन सैनिकों को भी पानी पिला रहे हो। क्या यह सच है?" भाई कन्हैया जी ने सिर झुकाकर जवाब दिया, "हाँ, गुरु साहिब! यह सच है। लेकिन मैं क्या करूँ? जब मैं जंग के मैदान में देखता हूँ, तो मुझे हर जगह बस आप ही नज़र आते हैं। मुझे कोई दोस्त-दुश्मन नहीं दिखता। मेरे लिए तो हर कोई आपका ही रूप है, और मैं जो सेवा करता हूँ, वो आपकी ही सेवा समझकर करता हूँ। आपने तो हमें कभी भेदभाव करना नहीं सिखाया।"

गुरु का आशीर्वाद और नई ज़िम्मेदारी (The Guru’s Blessing and a New Responsibility)

गुरु गोविंद सिंह जी भाई कन्हैया जी की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। उनकी आँखों में चमक आ गई। उन्होंने सैनिकों की ओर देखा और कहा, "देखो, भाई कन्हैया जी ने सच्ची सेवा का मतलब समझ लिया है। हमारा कोई दुश्मन नहीं है। हमारी लड़ाई किसी इंसान या धर्म से नहीं, बल्कि जुल्म और अत्याचार से है। हमें हर इंसान को एक जैसा मानना चाहिए।" फिर उन्होंने भाई कन्हैया जी से कहा, "कन्हैया जी, तुम्हारा दिल सच्चाई और प्यार से भरा है। अब से तुम सिर्फ़ पानी ही नहीं, बल्कि घायलों की मरहम-पट्टी भी करो। यह मल्हम और पट्टी लो, और हर ज़रूरतमंद की सेवा करो—चाहे वह हमारी सेना का हो या दुश्मन का।"

भाई कन्हैया जी ने गुरु जी का आशीर्वाद लिया और फिर से मैदान में निकल पड़े। अब वे पानी के साथ-साथ घायल सैनिकों के जख्मों पर मरहम भी लगाने लगे। उनकी इस निस्वार्थ सेवा को देखकर सैनिकों का गुस्सा प्यार में बदल गया। वे समझ गए कि सच्ची सेवा वही है, जो बिना भेदभाव के की जाए। उस दिन से गुरु जी की सेना में एक नया उत्साह भर गया, और वे जुल्म के खिलाफ और मज़बूती से लड़ने लगे। (Guru Gobind Singh Story, Bhai Kanhaiya Ji Tale)

सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची सेवा वही है, जो बिना भेदभाव के की जाए। भाई कन्हैया जी ने दिखाया कि हमें हर इंसान को एक जैसा मानना चाहिए, चाहे वह दोस्त हो या दुश्मन। गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखाया कि हमारी लड़ाई जुल्म से होनी चाहिए, न कि किसी इंसान से। हमें हमेशा प्यार और समानता की भावना से सेवा करनी चाहिए, क्योंकि सच्चाई और प्यार ही हमें बेहतर इंसान बनाते हैं। (Lesson on Selfless Service, Equality Moral for Kids)

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