सच्चा आनंद: नजरिए का जादू- एक समय की बात है। एक गांव में कुछ मजदूर पत्थर के खंभों को तराशने का काम कर रहे थे। उसी समय, एक संत वहां से गुजरे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा, "भाई, यहां क्या बन रहा है?" मजदूर ने थके हुए स्वर में उत्तर दिया, "नहीं जानते क्या? पत्थर काट रहा हूं। दिन भर की मेहनत में जान निकल रही है और आप यहां क्या बन रहा है पूछने आए हैं!" संत ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और आगे बढ़ गए। संत ने दूसरे मजदूर से वही सवाल पूछा, "यहां क्या बन रहा है?" मजदूर ने कंधे उचका कर जवाब दिया, "क्या बन रहा है, इससे मुझे क्या फर्क पड़ता है। मेरा काम है पत्थर तराशना और बदले में 100 रुपए कमाना। शाम को पैसा मिल जाए, बस वही काफी है। यह मंदिर बने या कुछ और, मुझे इससे कोई मतलब नहीं।" संत अब तीसरे मजदूर के पास पहुंचे। उन्होंने फिर से वही सवाल पूछा, "यहां क्या बन रहा है?" तीसरे मजदूर ने हंसते हुए उत्तर दिया, "साधु बाबा, यहां एक भव्य मंदिर बन रहा है। यह मंदिर हमारे गांव के लिए बहुत खास होगा। इस गांव में कोई बड़ा मंदिर नहीं है, और इसके बनने से पूरे गांव को उत्सव मनाने और पूजा करने के लिए एक जगह मिलेगी। मैं बहुत उत्साहित हूं कि मैं इस काम का हिस्सा हूं।" तीसरे मजदूर ने आगे कहा, "जब मैं पत्थरों को तराशता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं सिर्फ खंभे नहीं, बल्कि इस मंदिर के भविष्य को आकार दे रहा हूं। हर छेनी की आवाज मेरे लिए संगीत है। मैं जब यह सोचता हूं कि एक दिन यहां कीर्तन होगा, पूजा होगी और मेला लगेगा, तो मेरा दिल खुशी से भर जाता है। मेरे लिए यह सिर्फ काम नहीं, बल्कि एक महान कार्य है।" संत ने उस मजदूर को सराहा और कहा, "भाई, यही जीवन का असली रहस्य है। काम तो सभी कर रहे हैं, लेकिन आनंद वही पाता है, जो अपने काम में मस्ती और उद्देश्य ढूंढ लेता है।" सच्चा आनंद कहानी से सीख किसी भी काम को केवल एक जिम्मेदारी के रूप में न देखें। उसमें उद्देश्य और आनंद खोजें। आपका नजरिया आपके काम को सरल और सुखद बना सकता है। और पढ़ें : खेत में छिपा खजाना: मेहनत से मिलती है असली दौलत मोटिवेशनल कहानी : चोटी की खोज - एक अनोखा रहस्य बैल की कहानी: मेहनत, मूर्खता और समझदारी की सीख अच्छी कहानी : बाबू और बिक्रम