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यह प्रेरक कहानी एक बच्चे और चार मोमबत्तियों—शांति, विश्वास, प्यार, और उम्मीद—के इर्द-गिर्द घूमती है। जब शांति, विश्वास, और प्यार बुझ जाती हैं, तो उम्मीद की ज्योति बच्चे की मदद से उन्हें फिर से जलाती है। यह कहानी हमें जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने की सीख देती है।
एक शांत कमरे में चार मोमबत्तियाँ धीरे-धीरे जल रही थीं। चारों तरफ इतनी खामोशी थी कि लगता था, मानो वे आपस में बातें कर रही हों। पहली मोमबत्ती, जिसका नाम था शांति, बोली, "मैं शांति हूँ। लेकिन लोग मुझे भूलते जा रहे हैं, कोई मेरी रोशनी को संजोए नहीं रखता। मुझे लगता है, मैं अब बुझ जाऊँगी।" उसने जैसे ही ये कहा, उसकी लौ कमजोर पड़ी और हवा के एक हल्के झोंके ने उसे बुझा दिया।
दूसरी मोमबत्ती, जिसे विश्वास कहा जाता था, उदास होकर बोली, "मैं विश्वास हूँ। आजकल लोग मुझ पर भरोसा नहीं करते, मुझे लगता है कि मेरी मौजूदगी का कोई मतलब नहीं।" उसने अपनी बात खत्म की ही थी कि एक अचानक हवा का झोंका आया और उसकी ज्योति भी गायब हो गई। तीसरी मोमबत्ती, प्यार, जो अब तक चुपचाप सुन रही थी, बोली, "मैं प्यार हूँ। लोग मुझसे दूर भागते हैं, वे अपने करीबी रिश्तों को भी भूल गए हैं। मेरे पास इतनी ताकत नहीं कि मैं जलती रहूँ।" यह कहकर उसने खुद को बुझा लिया, और कमरा और भी अंधेरा हो गया।
इसी बीच, एक छोटा सा बच्चा कमरे में दौड़ता हुआ आया। उसने चारों ओर देखा और हैरानी से बोला, "अरे! ये मोमबत्तियाँ क्यों बुझ गईं? इन्हें तो जलना चाहिए था!" उसकी आँखों में आँसू आ गए, और वह रोने लगा। तभी चौथी मोमबत्ती, जिसका नाम था उम्मीद, चमकते हुए बोली, "रो मत, बेटा! मैं अभी भी जल रही हूँ। मेरा नाम उम्मीद है, और मैं इन बुझी मोमबत्तियों को फिर से जला सकती हूँ।"
बच्चा की आँखों में चमक आई। उसने उम्मीद की मोमबत्ती को उठाया और प्यार से बोला, "दादाजी कहते हैं कि उम्मीद कभी खत्म नहीं होती। चलो, इन्हें फिर से जलाएँ!" उसने शांति, विश्वास और प्यार की मोमबत्तियों को बारी-बारी से जला दिया। कमरा फिर से रोशनी से भर गया। बच्चा खुश होकर बोला, "देखो, अब सब ठीक है!" उम्मीद ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, बेटा, जब तक मैं हूँ, ये सारी ज्योतियाँ वापस लौट सकती हैं।"
दोनों ने एक-दूसरे को देखा और हँस पड़े। बच्चा ने पूछा, "लेकिन दादाजी कहते हैं कि लोग क्यों उम्मीद छोड़ देते हैं?" उम्मीद ने जवाब दिया, "क्योंकि वे डर से घिर जाते हैं, बेटा। लेकिन सच यह है कि डर को छोड़ो, अपनी उम्मीद और सपनों को थामो। जो काम अधूरे रह गए, उनके बारे में सोचो कि उन्हें पूरा कैसे कर सकते हो, न कि उन कोशिशों के बारे में जो नाकाम रहीं।" बच्चा ने सिर हिलाया और बोला, "मैं हमेशा उम्मीद रखूँगा!"
धीरे-धीरे रात गहराई, लेकिन कमरे में चारों मोमबत्तियाँ एक साथ जल रही थीं। बच्चा वहाँ बैठा सपनों के बारे में सोचने लगा—स्कूल में अच्छे नंबर लाने का, अपने दोस्तों के साथ खेलने का। उम्मीद की ज्योति उसे प्रेरित करती रही, और उसने ठान लिया कि वह कभी हार नहीं मानेगा।
सीख
इस बेस्ट हिंदी स्टोरी से हमें यह motivational story के रूप में सीख मिलती है कि उम्मीद ही जीवन की सबसे बड़ी ताकत है। डर और नकारात्मकता को छोड़कर अपने सपनों पर भरोसा रखें, और अधूरे कामों को पूरा करने की नई राहें तलाशें। उम्मीद कभी मरती नहीं, अगर हम उसे जिंदा रखें।
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