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कविता : आई पकौड़ी आई पकौड़ी-
यह कविता "पकौड़ी" एक चटपटी और खुशियों से भरी कहानी प्रस्तुत करती है, जो न केवल बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन है, बल्कि उनके स्वाद और पकौड़ी के प्रति प्रेम को भी दर्शाती है। कविता में पकौड़ी के तले जाने की प्रक्रिया को बहुत ही रोचकता से चित्रित किया गया है।
जब तेल में पकौड़ी तली जाती है, तो उसका सुनहरा रंग और सुगंध हर किसी का मन मोह लेती है। इसमें न केवल पकौड़ी के स्वाद का वर्णन किया गया है, बल्कि यह भी बताया गया है कि यह कैसे हर बच्चे की पसंदीदा स्नैक बन जाती है। साथ ही, इसे चटनी के साथ खाने की खुशी भी इस कविता का हिस्सा है, जो खाने के अनुभव को और भी मजेदार बनाता है।
यह बच्चों को पकौड़ी बनाने और खाने की खुशी के साथ-साथ परिवार और दोस्तों के साथ बिताए गए आनंददायक पलों की भी याद दिलाती है। जैसे-जैसे बच्चे इस कविता को पढ़ते हैं, वे न केवल पकौड़ी के प्रति अपनी रुचि बढ़ाते हैं, बल्कि साथ ही इसे साझा करने की खुशी भी महसूस करते हैं।
कविता का मुख्य उद्देश्य बच्चों में खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि बढ़ाना और उनकी कल्पनाओं को उड़ान देना है। इस प्रकार, "पकौड़ी" कविता न केवल एक स्वादिष्ट पकवान का जश्न है, बल्कि यह पारिवारिक मेलजोल और दोस्ती के रिश्तों को भी मजबूत करती है।
इस कविता के माध्यम से बच्चे सीखते हैं कि सरल चीज़ें भी कितनी आनंददायक हो सकती हैं। इसे पढ़कर वे अपने रसोई के अनुभवों को साझा करने के लिए प्रेरित होते हैं, जो उन्हें रचनात्मकता और आनंद का अनुभव कराता है।
आई पकौड़ी आई पकौड़ी,
तेल में नाचने आई पकौड़ी
प्लेट में आ गई पकौड़ी।
हाथ से उठी सीधा मुंह में पहुँची पकौड़ी,
पेट में जाकर गायब हुई पकौड़ी।
आई पकौड़ी आई पकौड़ी,
मेरे मन को भाई पकौड़ी।
गर्म तेल में जब पहुंचाई,
सुनहरे रंग में रंगी रंगाई ,
हर एक कौर में छिपा मजा,
पकौड़ी का स्वाद खाने में खूब मज़ा।
बच्चों का मन करे वो खूब खाएं,
जब भी पकौड़ी उनके सामने आए,
चटनी के संग खूब खाई जाए पकौड़ी,
इसलिए सबको भाये पकौड़ी।