चूहे को बुखार की कविता- यह कविता एक चूहे की है, जो सोमवार को बुखार से परेशान है। चूहा डॉक्टर के पास जाता है, जहां उसे सूई लगाई जाती है। डरते हुए चूहा डॉक्टर की सलाह मानता है कि आराम करने से वह जल्द ठीक हो जाएगा। कविता में चूहे के अनुभव और उसकी सोच को दर्शाया गया है, जिसमें वह अपने दोस्तों के साथ खेलने की योजना बनाता है। यह कहानी बच्चों को स्वास्थ्य और डॉक्टर की सलाह का महत्व सिखाती है, साथ ही दोस्ती और खेल की खुशी को भी उजागर करती है।
आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डॉक्टर के पास,
डॉक्टर ने लगाई सूई,
चूहा बोला, "उई - उई।"
डॉक्टर ने कहा, "डरने की बात नहीं,
थोड़ा आराम करो, सब होगा सही।"
चूहा बोला, "डॉक्टर जी, मुझे तो डर लगता है,
लेकिन आपकी बात सुनकर, अब मैं आराम करूंगा।"
चूहा लेटा बिस्तर पर, सपनों में खो गया,
बुखार का भूत भागा, वो बेफिक्र हो गया।
सोचा, "जब मैं ठीक हो जाऊंगा,
तो दौड़कर अपनी टोली में लौट आऊंगा।"
दोस्तों संग फिर खेलूंगा, खुशी से कूदूंगा,
जैसे ही ठीक हुआ, सबको बुलाऊंगा।
बुखार की कहानी सबको सुनाऊंगा,
डॉक्टर की दवाई से कैसे ठीक हुआ, ये बताऊंगा।