बाल कविता : मोर का नृत्य

मोर का नृत्य : मोर का नृत्य न केवल एक प्राकृतिक चमत्कार है बल्कि यह हमारे भारतीय संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कविता मोर के अद्भुत नृत्य और उसके वर्णन को और अधिक विस्तृत रूप में प्रस्तुत करती है।

By Lotpot
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Children Poem Peacock Dance
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मोर का नृत्य : मोर का नृत्य न केवल एक प्राकृतिक चमत्कार है बल्कि यह हमारे भारतीय संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कविता मोर के अद्भुत नृत्य और उसके वर्णन को और अधिक विस्तृत रूप में प्रस्तुत करती है।

कविता:

सुंदर-सुंदर पंख फैलाकर,
मैं नाचता जंगल-जंगल,
बिरज में बजी बांसुरी की धुन पर,
शिखर वन्य के आँगन पर।

Children Poem Peacock Dance
मनमोहक मोर नाच दिखाता,
मैं सबको खुशी कर जाता,
सभीकी प्रसन्नता पंख दिलाता,
राजसी पोशाक में कहलाता।

जब बादल गरजते अंबर से,
नीले गगन से पानी बरसे,
मेरे नृत्य से खुश हो धरती,
हरियाली छाये, बंजर भी हर्षे।

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सतरंगी पंखों की चमक में,
भीनी खुशबू हवा में घुलती,
मेरी चाल में है कुदरत की कला,
संगीत की ताल पर, मैं नित नवेली।

'मोर की भव्य नृत्य लीला' एक प्रेरणादायक कविता है जो मोर के नृत्य की भव्यता और उसकी रंगीनियत को चित्रित करती है। मोर का नृत्य न केवल प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाता है बल्कि यह वन्य जीवन और प्रकृति के संरक्षण का भी संदेश देता है। इस कविता के माध्यम से बच्चों को प्रकृति की सुंदरता और उसके संरक्षण की अहमियत को समझाया गया है, जिससे वे इसके महत्व को पहचान सकें और इसकी सुरक्षा के लिए प्रेरित हों।

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