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इस कविता "सर्दी की आहट" में सर्दियों के आने की सुगबुगाहट और वातावरण में आए बदलाव को महसूस किया जा सकता है। कविता में हवाओं की ठंडक, सूरज का जल्दी छिपना, और बच्चों की धीमी हंसी का जिक्र है जो सर्दियों के आगमन का संकेत देता है। इसमें सर्दी के दिनों में चाय की गर्म प्याली और आग के पास बैठने के सुखद अनुभवों को भी साझा किया गया है। कविता के अंत में, ठंड की सिहरन और सर्दी की यादें हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताए पलों की याद दिलाती हैं। यह कविता सर्दियों के माहौल और उसकी खूबसूरती को खूबसूरती से बयां करती है, और गूगल पर रैंक करने के लिए एकदम उपयुक्त है।
सर्दी की आहट आने लगी है,
पेड़ की शाखें हिलने लगी हैं।
हल्की-सी ठंडी हवाएं बहे,
कानों में गुनगुनाने लगी हैं।
सूरज भी अब जल्दी छिप जाता,
फूलों का रंग भी मुरझाने लगा है।
बच्चों की हंसी भी धीमी पड़ी,
गली-मोहल्ला थरथराने लगा है।
आग के पास सब जुटते हैं,
चाय की प्याली गरमाने लगी है।
रजाई और कम्बल की यादें,
फिर से मन को बहलाने लगी हैं।
चूड़ियों की खनक भी चुप हो गई,
सर्दी की सिहरन जगाने लगी है।
खुशियों के बीच ठंड की बातें,
दिल को अब सहलाने लगी हैं।