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फलों का राजा आम
फलों का राजा कहलाता हूँ
सबके ही मन को भाता हूँ।
गरमी का मौसम आते ही
बैठ डाल पर इतराता हूँ।
हरे पीले परिधान पहनकर
मैं दूल्हा सा बन जाता हूँ।
बच्चे, बूढ़े, मुझे निहारें
देख-देख मैं मुस्काता हूँ।
गर्म हवा बेहाल करे जब
झट औषधि मैं बन जाता हूँ।
सबको स्वस्थ, बलवान बनाऊं
आम हूँ अमृत बरसाता हूँ।