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अब न करूंगा मैं हंगामा
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अब न करूंगा मैं हंगामा
मोटा ताजा चिंकम बंदर,
रहता था जंगल के अंदर।
तोड़-तोड़ कर केले खाता,
इधर-उधर छिलके फैलाता।
एक रोज जब बारिश आई,
उसने एक छलांग लगाई।
पैर पड़ा छिलके के ऊपर,
संभल न पाया, गिरा फिसल कर।
टूटा हाथ, नाक भी फूटी,
और पैर की हड्डी टूटी।
भालू ने आ उसे उठाया,
बांध-पट्टियां उसे लिटाया।
तब वह बोला भालू मामा,
अब न करूंगा मैं हंगामा।