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चंचल तितली
चंचल तितली
कुसुम-कुसुम पर नाचती गाती,
रह-रह कर इठलाती तितली।
रंग-बिरंगे पंख हिलाती,
सबके मन को लुभाती तितली॥
कभी यहां-कभी वहां टहलती,
छुप-छुप कर शर्माती तितली।
नाज-नखरे खूब उठाती,
हवाओं से बतियाती तितली।।
उड़-उड़ कर फूलों को चूमती,
अपने मन हर्षाती तितली।
प्यार पाती-प्यार बांटती,
जीवन जीना सिखाती तितली।।
वन-उपवन में मौज-मनाती,
कोमल-नाजुक चंचल तितली।
लगता मानो धरती पर उतरी,
परी-लोक से प्यारी तितली।।
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