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तारों के संग आते
तारों के संग आते
रोज रात को चंदा मामा,
तारों के संग आते।
आसमान का चक्कर,
हर दिन खूब लगाते।
कभी चांदनी रात में,
सबको खूब हंसाते।
कभी अमावस की रात,
बन कर के छा जाते।
घटता बढ़ता अपना चेहरा,
सबको खूब दिखाते।
बादलों की ओठ में,
कभी-कभी छुप जाते।
हम बच्चों को मीठी लोरी,
गाकर खूब सुनाते।
निंदिया रानी से कहकर,
सपनों की सैर कराते।
तपती धरती को हर दिन,
शीतलता पहुंचाते।
जाड़ा गर्मी और बरसात,
हर मौसम में मुस्काते।
रोज-रात को अपनी ड्यूटी,
हर दिन खूब निभाते।
सुबह हुआ तो बादलों के पीछे,
जा कर के छुप जाते।।