हिंदी बाल कविता: तारों के संग आते

यह कविता चंद्रमा और तारों की रात की गतिविधियों को खूबसूरती से चित्रित करती है। यह कविता चंद्रमा की विभिन्न भूमिकाओं और उसकी रात की ड्यूटी को दर्शाती है, जो मौसम की हर स्थिति में मुस्कुराते हुए और सुबह के समय बादलों के पीछे छिपकर समाप्त होती है।

By Lotpot
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तारों के संग आते

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तारों के संग आते

रोज रात को चंदा मामा,
तारों के संग आते।

आसमान का चक्कर,
हर दिन खूब लगाते।

कभी चांदनी रात में,
सबको खूब हंसाते।

कभी अमावस की रात,
बन कर के छा जाते।

घटता बढ़ता अपना चेहरा,
सबको खूब दिखाते।

बादलों की ओठ में,
कभी-कभी छुप जाते।

हम बच्चों को मीठी लोरी,
गाकर खूब सुनाते।

निंदिया रानी से कहकर,
सपनों की सैर कराते।

तपती धरती को हर दिन,
शीतलता पहुंचाते।

जाड़ा गर्मी और बरसात,
हर मौसम में मुस्काते।

रोज-रात को अपनी ड्यूटी,
हर दिन खूब निभाते।

सुबह हुआ तो बादलों के पीछे,
जा कर के छुप जाते।।

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