हिंदी बाल कविता: बादल कितना जल बरसाता यह कविता आसमान, बादल और प्राकृतिक रंगों की गहराई में एक यात्रा का वर्णन करती है। इसमें मेंढक, बादल, धूप, और इंद्रधनुष के माध्यम से जीवन की अद्वितीयता और सौंदर्य का समर्थन किया गया है। By Lotpot 13 Jul 2024 in Poem New Update बादल कितना जल बरसाता Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बादल कितना जल बरसाता आसमान पर बादल छाता,फुदक-फुदक कर मेंढक आता। सुन पुकार फिर मेंढक जी की,बादल कितना जल बरसाता। सूरज बादल में छिप जाता,क्यों हमसे इतना शरमाता। धूप नहीं द्वारे पर आती,दिन में ही अंधियारा छाता। बादल रिमझिम झड़ी लगाता,पोखर फिर से है भर जाता। कागज वाली नाव चलाने,मुन्ना दौड़ा-दौड़ा आता। दूर गगन पर सात रंग का,इन्द्रधनुष मन हरने आता। इतना बड़ा धनुष लेकर ये,कौन लड़ाकू नभ पर जाता? यह भी पढ़ें:- हिंदी बाल कविता: बारिश का मौसम हिंदी बाल कविता: जंगल की कहानी हिंदी बाल कविता: बंटी जी स्कूल चले Bal Kavita: अपनी नानी #बादल पर कविता #hindi poem on clouds #Hindi Bal Kavita #बच्चों की कविता #kids hindi poem #manoranjak hindi kavita #हिंदी बाल कविता You May Also like Read the Next Article