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बादल कितना जल बरसाता
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बादल कितना जल बरसाता
आसमान पर बादल छाता,
फुदक-फुदक कर मेंढक आता।
सुन पुकार फिर मेंढक जी की,
बादल कितना जल बरसाता।
सूरज बादल में छिप जाता,
क्यों हमसे इतना शरमाता।
धूप नहीं द्वारे पर आती,
दिन में ही अंधियारा छाता।
बादल रिमझिम झड़ी लगाता,
पोखर फिर से है भर जाता।
कागज वाली नाव चलाने,
मुन्ना दौड़ा-दौड़ा आता।
दूर गगन पर सात रंग का,
इन्द्रधनुष मन हरने आता।
इतना बड़ा धनुष लेकर ये,
कौन लड़ाकू नभ पर जाता?