रिंकी की कहानी : सबको जरूरत है अपनों की रिंकी की कहानी : रिंकी की मम्मी ने अपने मकान के पीछे एक सुंदर सा गार्डन बनाया था। इस गार्डन में रंग-बिरंगे फूलों और सब्जियों के पौधे थे, जिन्हें देखकर हर कोई हर्षित हो जाता था। एक बार रिंकी जब गार्डन में खेल रही थी तो उसने देखा कि By Lotpot 24 Jun 2023 | Updated On 24 Jun 2023 10:15 IST in Stories Moral Stories New Update रिंकी की कहानी : रिंकी की मम्मी ने अपने मकान के पीछे एक सुंदर सा गार्डन बनाया था। इस गार्डन में रंग-बिरंगे फूलों और सब्जियों के पौधे थे, जिन्हें देखकर हर कोई हर्षित हो जाता था। एक बार रिंकी जब गार्डन में खेल रही थी तो उसने देखा कि उसकी मम्मी बहुत मेहनत से एक गुलाब के पौधे वाले गमले को ध्यान से घसीट कर दूसरे गुलाब के गमले के पास ले जा रही थी। रिंकी ने यह देखकर उत्सुकता से पूछा, "मम्मी, आप ऐसा क्यों कर रही हैं?" मम्मी ने गुलाब के पौधे को देखते हुए उसे समझाया, "बेटा, देखो इस कोने में अकेले पड़े पड़े यह गुलाब का पौधा कैसे मुरझा रहा है, इसलिए मैं उसे वहां लेकर जा रही हूँ जहाँ कई और गुलाब के पौधे लगे है।" यह सुनकर रिंकी ने मुस्कान के साथ कहा, "लेकिन मम्मी, पेड़ पौधों को तो सिर्फ खाद पानी चाहिए। मैं तो हमेशा उसे पानी देती हूँ।" मम्मी ने कहा," बेटा, यह कभी मत भूलना कि सिर्फ खाद पानी से पेड़ पौधे नहीं लहलहाते, उसे भी अपनों का साथ चाहिए। चाहे पशु पक्षी हो, पेड़ पौधे हो या इंसान, हर किसी को अपनों के साथ की जरूरत होती है।" माँ यह कह कर अपनी गृहस्थी के कामों में लग गई। कुछ दिनों के बाद रिंकी ने देखा कि मुरझाया हुआ गुलाब का फूल सचमुच लहलाहने लगा था। रिंकी गार्डन में बैठ कर सोचने लगी कि मां ने कितना सही कहा था। उसकी एक सहेली ने पिछले दिनों बाज़ार से एक रंगीन मछली खरीद कर एक शीशे के जार में पालने की कोशिश की थी, उसे मछलियों के लिए उपयुक्त खाना भी डाला था लेकिन वो एक सप्ताह में मर गई। रिंकी को याद आया कि उनके पड़ोस में रहने वाली दादी जी उस दिन से हँसना भूल गई थी जब से दादाजी की मृत्यु हुई। वो सारा दिन अकेली अपने कमरे में बैठी बैठी रोती रहती है, किसी को उनके पास जाकर उनका हाल चाल पूछने की फुर्सत ही नहीं है। रिंकी को अपनी प्यारी माँ की बात बिल्कुल सही लगी और उसने संकल्प कर लिया कि वह कभी किसी को अकेला नहीं छोड़ेगी। चाहे इंसान हो या पशु पक्षी, पेड़ हो या पौधे वो सबको अपना प्यार, साथ और मदद देकर खुश रखने का प्रयास करेगी ताकि सभी का जीवन लहलहा उठे। यह सोचते हुए वो अपनी जेब में रखी हुई चॉकलेट लेकर पड़ोस की दादी से मिलने दौड़ पड़ी। सुलेना मजुमदार अरोरा और पढ़ें : बाल कहानी : मुनीम और नौकर का अंतर प्रेरणादायक कहानी : भगवान का घर #Bal Kahani Lotpot You May Also like Read the Next Article