Moral Story | शिक्षाप्रद कहानी : किस्मत का चक्कर : राहुल का दिमाग पढ़ाई में ठीक था लेकिन वह मेहनत से ज्यादा अपनी किस्मत पर भरोसा करता था। जब भी उसे कोई समझाने की कोशिश करता। तो वह कहता था, अरे अगर मेरी किस्मत में पास होने लिखा होगा तो मैं ऐसे ही पास हो जाऊँगा और अगर मेरी किस्मत में फेल होना लिखा है तो चाहें मैं कितनी भी मेहनत क्यों न करूँ, मुझे दुनिया की कोई ताकत पास नहीं कर सकती।
Moral Story : अच्छा आदमी कौन? – एक था राजा। एक बार उसने अपने दरबारियों से समक्ष एक सवाल रखा, अच्छा आदमी कौन है? जो अच्छा काम करे।कोई दरबारी बोला।
जैसे? मैंने एक मन्दिर बनवाया है, जहां सैकड़ों लेाग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ।
और किसने अच्छे अच्छे कार्य किए हैं? राजा ने अन्य दरबारियों से पूछा।
कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर वाले जंगल में रहता था। वह देखने में जितना काला कलूटा था। मन से उससे भी अधिक काला था। ऊपर से मीठी मीठी बातें करता था और मौका मिलते ही उन्हें चट कर देता। छोटे जानवर तो प्रायः चिकनी चुपड़ी बातों के जाल में फंस ही जाते थे।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) दीपावली का क्या महत्व है?- दशहरे का त्यौहार अभी बीता भी न था कि पलक झपकते ही दीपावली आ गई। कितनी मधुरता व सौम्यता है इस नाम में इसका अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’ हरिवंशराय बच्चन ने भी कहा है-
प्रेरणादायक बाल कहानी (Inspirational Kids Story) : सेवा का व्रत- प्राचीन काल में गंगा नदी के किनारे एक मुनि का आश्रम था। मुनि का नाम टंडुल था। टंडुल मुनि रात-दिन तप किया करते थे। फलस्वरूप टंडुल मुनि को कई सिद्धियाँ प्राप्त हुई थीं।
एक रात्रि में टंडुल मुनि अपने आश्रम में विश्राम कर रहे थे। अर्द्धरात्रि को लुटेरों का एक दल वहाँ आया। लुटेरों ने नगर के कई मकानों सें सेंध मार कर मूल्यवान वस्तुओं को लूट लिया था। लूट की वस्तुयें उनके पास थी। राजा के सैनिकों ने लुटेरों का पीछा किया तो वे टंडुल मुनि के आश्रम में आकर छुप गये थे। टंडुल मुनि गहरी निद्रा में थे। इसलिए उन्हें लुटेरों के आगमन का कुछ पता नहीं चला। लुटेरों ने रात्रि वहीं बिताने का निश्चय किया और वे सब माल-असबाब के साथ सो गये।
सुबह उठकर टंडुल मुनि का ध्यान सोये हुए लुटेरों की ओर गया तो वे आश्चर्य चकित रह गये। उन्होंने वस्तुयें लूट की देखी तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने लुटेरों को जगाकर कहा। तुम सब शीघ्र यहाँ से चले जाओ। यदि तुमने भागने में विलम्ब किया तो मैं तुम सबको शाप दूँगा।
Inspirational Kids Story : बाल कहानी : झूठ का फल
लुटेरे टंडुल मुनि का क्रोध देख भयभीत हो गए और माल-असबाब के साथ भाग खड़े हुए। भाग-दौड़ में एक कलश वहाँ छोड़ गये थे।
टंडुल मुनि ने दूसरे दिन आँगन में कलश पड़ा हुआ देखा तो आश्चर्य चकित रह गये। उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कलश उठाया और नदी में फेंक देने के विचार से गंगा नदी की ओर प्रस्थान किया।
रास्ते में विचार किया कि उनका कमंडल छोटा है। फल-वृक्षों को पानी देने में असक्षम है। यदि मैं कलश रख लूँ तो अधिक जल लाकर वृक्षों को सींच सकता हूँ। अच्छा होगा कि मैं यह कलश फैंक देने के बजाये रख लँू। वृक्षों और फूलों को सींचने के लिए इसमें अधिक जल लाया करूगाँ। यह विचार टंडुल मुनि को उपयुक्त लगा और वे कलश लेकर आश्रम वापस लौट गए। उन्होंने नदी से जल लाकर वृक्षों और फल-फूलों को सींचा। मगर आश्चर्य उन्हें तब हुआ जब उन्होंने देखा कि फल,फूल और वृक्ष कुछ ही देर बाद सूख गये। टंडुल मुनि गुस्सा हो उठे। उन्होंने आसन लगाकर साधना की। एक देवता ने प्रकट होकर कहा मुनिराज! यह कलश अनिष्टकारी है। लूट का कलश संग्रह करना हानिकारक है। इसे फेंक दीजिए। इसके जल से तुमने वृक्षों को सींचा है और इसी पाप से वे सब मुरझा गए।
Inspirational Kids Story : चालाक राजा को शिक्षा देती ये बाल कहानी
टंडुल मुनि ने पश्चाताप किया और कलश उठाया, नदी की ओर गये और उन्होंने कलश नदी में फेंक दिया। एक चरवाहा यह देख रहा था। उसने कलश निकाल लिया। उसमें उसने जल भरा और आने-जाने वाले लोगों को निःशुल्क जल पिलाने लगा।
कुछ दिनों में उस चरवाहे की निःशुल्क सेवा और उस कलश की सर्वत्र चर्चा होने लगी। टंडुल मुनि के कानों में भी यह बात आई तो चरवाहे और उस कलश को देखने उस स्थान पर पहुँचे जहाँ वह चरवाहा अपने पशुओं के साथ प्यासे लोगों को निःशुल्क पानी पिलाने में व्यस्त था।
टंडुल मुनि ने उस चरवाहे से पूछा तुम्हें यह कलश कहाँ से प्राप्त हुआ बेटा।
चरवाहे ने टंडुल मुनि को प्रणाम कर कहा। ‘‘मुनिराज मुझे यह कलश गंगा नदी से प्राप्त हुआ था कुछ समय पूर्व। किसी ने कलश गंगा नदी में फेंक दिया था।
टंडुल मुनि ने चरवाहे को कलश-वृतांत सुनाकर कहा। ‘‘बेटा, यह कलश अनिष्टकारी है। इसे फेंक आओ।’’
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चरवाहे ने कहा। ‘‘मुनिराज! मैं कलश कैसे फेंकू दूँ। इसके जल ने कई प्यासे लोगों और यात्रियों की प्यास बुझाई है। यह अनिष्टकारी नहीं हो सकता और न यह कलश किसी का अहित कर सकता है। इसने कितने ही लोगों की आत्मा को तृप्त किया है। यह कलश तो असंख्य लोगों को जल पिलाकर परोपकार से प्रत्येक वस्तु का गुण बदल जाता है। मुझे भी इसी कलश के कारण मनुष्यों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुनिवर, आप तो भलीभाँति जानते हैं। सेवा करना ही वास्तविक धर्म है।’’
चरवाहे की बात सुनकर टंडुल मुनि की आँखें खुल गई। उन्होंने चरवाहे का आभार प्रकट किया और उसी दिन से लोगों की सेवा करने का वचन ले लिया।
आपने सपेंरों, मदारियों के पास सांप और नेवले की लड़ाई देखी होगी। मैंने भी देखी है, सपेरे के बायें बाजू में नेवला रहता है तो दायें बाजू होता है मरियल-सा सांप, सपेरा नेवले को खेलता है। नेवला कूदकर सांप का मुंह पकड़ लेता है, फिर लहूलुहान सांप को सपेरा नेवले से अलग कर देता है। बस हो गई लड़ाई!