बच्चों की नैतिक कहानी: पकौड़ीमल और घासीराम
एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ।
एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ।
एक दिन की बात है मोटू और पतलू घर में बैठे हुए पैसे कमाने के बारे में सोच रहे थे। तभी उनको एक आवाज़ सुनाई देती है मोटू पतलू कहां हो तुम, मैं स्वर्ग लोक से तुमसे मिलने आया हूं।
एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ पैदल भ्रमण करने को निकले। निर्माणाधीन मंदिर के पास उनकी तीव्र दृष्टि तीन मजदूरों पर पड़ी। उन्होंने उत्सुकतापूर्वक पहले से पूछा, "क्यों भाई क्या रहे हो?"
बहुत समय पहले की बात है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित घाटी में एक कबीला था। कबीले के व्यक्तियों का जीवन जंगल की लकड़ियों पर निर्भर था। वे लकड़ी की खूबसूरत मूर्ति बनाकर बाजार में बेच-आते थे।