Jungle Kahani : नए साल का सूरज
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
चंपकपुर जंगल में जानवरों की मस्ती का कोई जवाब नहीं था। यहां के जानवर हंसी-खुशी अपना जीवन बिताते थे। जंगल के दो सबसे मजेदार साथी थे - मोंटी बंदर और भोलू गधा।
बहुत समय पहले, एक घना जंगल था जिसे सभी जानवर 'मित्रवन' कहते थे। इस जंगल में हर जानवर खुशी-खुशी रहता था, क्योंकि वहाँ के राजा शेरसिंह ने सभी के बीच सच्ची दोस्ती और सहयोग का नियम बनाया था।
Web Stories | Moral Stories चंपकवन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सभी जानवरों का 'संपन्न मेला' लगने जा रहा था। 'संपन्न मेला' इसलिए आयोजित किया जाता था ताकि
चंपकवन के मेले में कोयल ने अपने गाने से सबका दिल जीता लेकिन मादा कौआ का अपमान किया। कौआ ने उसे उसके अंडे छोड़ने की सच्चाई बताई, जिसे सुन कोयल को अपनी गलती का अहसास हुआ। कोयल ने माफी मांगी और त्याग का महत्व समझा। कहानी सिखाती है, सम्मान और एकता जरूरी हैं।
कुत्ते का एक छोटा-सा पिल्ला अपने माता-पिता के साथ जंगल के पास रहता था। एक दिन उसके माता-पिता खाना ढूंढने के लिए निकले। शाम होने लगी लेकिन वे वापिस नहीं आए। पिल्ले को डर लगने लगा।
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक ऊंचे पेड़ पर एक गौरैया का घोंसला था। वह घोंसला उसका प्यारा घर था, जिसमें वह और उसके बच्चे रहते थे। सर्दी के दिन थे, और कड़ाके की ठंड से पूरा जंगल ठिठुर रहा था।