बहती नदिया छप-छप पानी – बचपन की शरारतों से भरी कविता
बचपन की दुनिया कितनी रंगीन होती है। न कोई चिंता, न कोई बोझ, बस हंसी-खुशी और ढेर सारी शरारतें। कविता “बहती नदिया छप-छप पानी” बच्चों के इन्हीं सुनहरे पलों को याद दिलाती है।
बचपन की दुनिया कितनी रंगीन होती है। न कोई चिंता, न कोई बोझ, बस हंसी-खुशी और ढेर सारी शरारतें। कविता “बहती नदिया छप-छप पानी” बच्चों के इन्हीं सुनहरे पलों को याद दिलाती है।