बाल कहानी : बूढ़ी ताई का सपना
मोहल्ले के सारे बच्चे ताई को बेहद चाहते थे। पढाई-लिखाई के बाद सारा समय ताई के साथ बिताते थे। ताई भी बिल्कुल अकेली थी। सफेद बाल धुनी हुई रूई जैसे चेहरे पर ढेरों झुर्रियों की लकीरें जैसे भूगोल के नक्शे में नदियाँ बह रही हो। मुँह में एक भी दाँत नहीं बड़ी भोली भाली सी पोपली हँसी थी ताई की। इतनी उम्र हो जाने पर भी ताई जसवन्ते बड़ी मेहनती थी।