बाल कहानी : मित्र की पहचान
मित्र की पहचान: बरसात का मौसम था आकाश में काले बादल छाये थे। ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी। पीलू बया का घोंसला तैयार होने में देर थी। उसने अपने मित्र चुग्गा चिड़ा को आवाज दी।
मित्र की पहचान: बरसात का मौसम था आकाश में काले बादल छाये थे। ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी। पीलू बया का घोंसला तैयार होने में देर थी। उसने अपने मित्र चुग्गा चिड़ा को आवाज दी।
बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : भीम की परीक्षा: भीम सेन अपने युग का सबसे बलवान योद्धा तो था ही पर उसे अपने अत्यन्त बलशाली होने का बहुत अभिमान हो गया था। वह जहां भी बैठता अपने बल तथा पराक्रम का बखान करने लगता। यही नहीं वह अपने अत्यन्त बलशाली होने का प्रदर्शन करने के लिए अनेक निरीह जंगली जानवरों को मार देता। पेड़ पौधों को उखाड़ कर फेंक देता।
कमल पाँचवीं कक्षा का छात्र था वह अपनी कक्षा के सभी छात्रों से वह उम्र में काफी बड़ा था कि वह हर कक्षा में कई वर्ष लगाता था इसका कारण यह था उम्र ज्यादा होने के कारण वह अपनी कक्षा के छात्रों से दोस्ती भी न कर पाता था।
बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल: कानन वन में खरगोशों का एक झुंड रहता था। वन का वह भाग जहाँ खरगोश रहते बड़ा हरा भरा था। सब खरगोश को मेहनत पसन्द थी। सबके अपने अपने खेत थे वे दिन भर मेहनत करते व रात को चैन से सोते।
वैसे आलोक रहता तो था शहर में। अपने माता-पिता के पास, लेकिन आजकल वह अपने नाना जी के गाँव में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने आया था। पढ़ने-लिखने में तेज, आलोक साहसिक कार्यो में भी बच्चों का अगुआ था। आलोक भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को जरा भी न मानता था जबकि उसके नाना जी भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को मानने लगे थे। बस आलोक को यही बात खटकती रहती कि उसके नाना जी जो भूत-प्रेतों का कभी न मानते थे अब क्यों भूत-प्रेतों में विश्वास करने लगे थे?
प्रजा का सुख-दुख- हुजूर, आपकी शान बुलंद रहे। महाराज, आपकी बहादुरी के किस्से कभी भूले नहीं जा सकते। अन्न दाता, आप जैसा न्यायकारी राजा हमने कहीं नहीं देखा। महाराज, अपकी ख्याति चारों दिशाओं में फैली हुई है। जनता आपकी जय जयकार कर रही है। इस तरह कई खुशामद करने वाले प्राणी सुंदर वन के राजा शेर सिंह को घेरे रहते थे और रात दिन उसकी झूठी प्रशंसा करते रहते थे।
कनक वन में हाथियों का एक झुंड रहता था सभी साथी मिलजुल कर काम करते थे। और बड़े प्रेम से साथ-साथ रहते। इस झुंड के मुखिया का नाम था कनक। कनक बड़ा दयालु हाथी था। सब हाथी उसकी बड़ी इज्जत करते थे। जैसा कनक कहता वैसा ही सब करते। कनक हाथी का एक एकमात्र बेटा था हीरा।
विजय नगर के महाराज कृष्णदेवा राय अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखा करते थे। प्रजा के सुख-दुख को जानने के लिये वह अपने जासूसों पर ही नहीं निर्भर रहा करते थे, बल्कि अक्सर भेस बदलकर अपने प्रधानमंत्री के साथ अपने राज्य के भ्रमण पर निकल जाया करते थे। इस प्रकार उन्हें जनसाधारण के साथ घुलने मिलने का और उसकी कठिनाइयां जानने का अवसर मिल जाया करता था।