बाल कहानी : आलस का फल

बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल: कानन वन में खरगोशों का एक झुंड रहता था। वन का वह भाग जहाँ खरगोश रहते बड़ा हरा भरा था। सब खरगोश को मेहनत पसन्द थी। सबके अपने अपने खेत थे वे दिन भर मेहनत करते व रात को चैन से सोते।

By Lotpot
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बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल:

बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल: कानन वन में खरगोशों का एक झुंड रहता था। वन का वह भाग जहाँ खरगोश रहते बड़ा हरा भरा था। सब खरगोश को मेहनत पसन्द थी। सबके अपने अपने खेत थे वे दिन भर मेहनत करते व रात को चैन से सोते।

इसी झुंड में दो खरगोश मित्र थे उनका नाम था चीनू व मीनू। चीनू व मीनू की मित्रता सब खरगोशो के लिए मिसाल थी। दोनों के खेत पास-पास या बचपन से ही दोनों साथ खेल कूद कर बड़े हुए थे उनका मन तो तभी से चाह रहा था कि अपने पुश्तैनी खेतों के बीच की बाड़ हटा देगें। समय बीतता गया अब चीनू मीनू जवान हो गये थे।

बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल:

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चीनू मीनू एक शाम खेतों पर टहल रहे थे चीनू ने कहा मीनू भाई अब हम बड़े हो गए हैं। हमें अपने बड़ों के काम में हाथ बटाना चाहिए। मीनू ने बड़े ध्यान से चीनू की बात सुनी व गर्दन हिलाते हुए कहा। तुम ठीक कहते हो चीनू अब हमें खेती का काम अपने कंधो पर ले लेना चाहिए मैं आज ही पिता जी से बात करता हूँ।

और तभी चीनू मीनू ने फैसला किया कि वे कल सूर्य उगने से पूर्व खेतों पर जाएगें व दोनों खेतों को मिलाकर एक कर देंगे। चीनू मीनू ने अपने अपने घर जाकर यह बात बताई। चीनू के पिता यह सुनकर प्रसन्न हुए मीनू के पिता ने जब यह बात सुनी तो उनके माथे पर कुछ चिन्ता की छाया उभर आई।

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मीनू ने पिता का मुख देखा और पूछा पिता जी क्या आप नहीं चाहते कि चीनू व मैं मिलकर काम करें और जंगल के सब जानवरों को सबक दे कि मिलकर काम करने से सबको लाभ होगा। पिता ने गर्दन हिलाते हुए धीमें स्वर में कहा मीनू बेटा बात तो तुम ठीक कहते हो पर मेरी चिन्ता का कारण यह नहीं मैं तुम्हारे स्वभाव को जानता हूँ और चीनू बड़ा मेहनती खरगोश है क्या तुम उसके जितनी मेहनत कर पाओगे।

मीनू नेे पिता जी की बात हँसकर टाल दी और बोला। आप चिन्ता न करें पिता जी बस आप तो हमें आर्शीवाद दे। बूढे़ पिता ने मीनू का उत्साह देखकर मन से मीनू के सिर पर हाथ रख दिया।

अगले दिन मीनू व चीनू दोनों अपने-अपने हल लेकर खेत में पहुँच गए दोनों ने बड़ी मेहनत से दोनों खेतों को मिलाकर एक कर दिया उन्होने दिन रात मेहनत करके गाजर की फसल उगाई। धीरे-धीरे चीनू की मेहनत रंग लाने लगी। खेत दूर-दूर तक हरा भरा दिखाई देने लगा। मीनू ने तय किया था कि वे रात को बारी बारी से खेत की रखवाली करेंगे।सर्दियों का मौसम नजदीक आ रहा था चीनू, को अपनी फसल की चिन्ता थी वे रात भर खेत पर पहरा देता कि कोई खरगोश आकर उनकी फसल न चर ले। चीनू मीनू से किए वादे के अनुसार रात को भूख लगने पर भी घर से लाई घास खाता वह फसल पकने तक उसका एक भी पत्ता छूना नहीं चाहता था।

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दूसरी ओर मीनू अब कई माह की मेहनत के बाद उकता गया था। जाड़े की रात में जागना पहरा देना उसे जरा भी न भाता रात भर जागने पर उसे बड़ी भूख लगती उसने सोचा इतनी मेहतन की है यदि थोड़े से गाजर के पत्ते खा भी लिये तो क्या अपने ही तो है यह विचार आते ही उसने खेत में मध्य भाग से जी भर के गाजर व पत्ते खाये और चैन की नींद सो गया। अगले दिन चीनू को पहरा देने की बारी थी वह जब खेतों के बीच में गया तो बीच में से काफी हिस्सा खाली देखकर दंग रह गया चिन्ता के मारे रात उसे नींद न आई। वह सोचता रहा, यह कौन खरगोश है जिसने हमारे खेत को हाथ लगाया वह रात भर बेचैन इधर उधर घूमता रहा। चिन्ता के कारण उसकी भूख भी खत्म हो गई और उसने कुछ भी नहीं खाया।

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कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा और धीरे धीरे खेत बीच से उजड़ने लगा अब चीनू ने मीनू से कहा। भाई खेत उजड़ रहा है न जाने कौन हमारी गाजर खा जाता है। मीनू ने नाटकीयता भरे स्वर में कहा। हाँ भाई मैं भी बड़ी सावधानी से पहरा देता हूँ और न जाने कौन हमारे साथ धोखा कर रहा है। तुम भी भली भाँति पहरा देना। चीनू को गुस्सा आ गया उसने कहा।

सवाल ही नहीं पैदा होता कि चोरी मेरे पहरे वाले दिन हुई हो। मीनू उस पर अकड़ गया और बोला। तो क्या तुम मुझ पर शक कर रहे हो चीनू ने कहा। मेरा यह मतलब नहीं था पर अब हमें सर्तक रहना होगा। वर्ना सारी मेहनत पर पानी फिर जायेगा। पर चीनू ने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह अब मीनू के पहरे की बारी में चुपचाप जाकर चोर का पता लगायेगा।

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अगले दिन मीनू की बारी थी चीनू चुपचाप जाकर खेत के बीच बैठ गया कुछ समय बाद मीनू वहाँ आया उसने खेत के बाहर आराम किया फिर भूख लगने पर वह खेत के बीच में गया। उसने गाजर खोदकर निकाल ली वह खाने लगा चीनू ने सोचा कि वह उसे रंगे हाथ पकड़ेगा। मीनू ने गाजर की मिट्टी हटाई और चैन से बैठकर खाना शुरू कर दिया अब चीनू बाहर आया और गरजता हुआ बोला।

मीनू तुमने मेरे साथ धोखा किया है तुम्ही वह चोर हो मैं तुम्हारे साथ नहीं निभा सकता। मीनू चीनू के पीछे गया वह बोला चीनू माफ कर दो अब ऐसा न होगा। चीनू ने अगले दिन पंचायत बुलाई वह किस्सा पंचो को सुनाया सबने मीनू को दोषी माना और चीनू से कहा कि वह क्या चाहता है चीनू ने कहा कि वह बंटवारा चाहता है बस गाँव के सभी खरगोशो ने दोनो के बीच दीवार बना दी और जब फसल का समय आया तो चीनू के खेत में गाजर के ढेर लगे थे और मीनू अपने माथे पर हाथ रखे अपनी अक्ल को कोस रहा था।

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