जंगल की कहानी: चोर की दाढ़ी में तिनका
एक घने जंगल में सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे। एक दिन, जंगल के राजा शेर सिंह ने घोषणा की कि अगले पूर्णिमा की रात को एक भव्य उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें सभी जानवर अपनी-अपनी पसंदीदा वस्तुएं लाकर साझा करेंगे।
एक घने जंगल में सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे। एक दिन, जंगल के राजा शेर सिंह ने घोषणा की कि अगले पूर्णिमा की रात को एक भव्य उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें सभी जानवर अपनी-अपनी पसंदीदा वस्तुएं लाकर साझा करेंगे।
पतझड़ का मौसम अपने अंतिम चरण में था। जंगल के हर कोने में हलचल थी। सभी जानवर और कीड़े-मकोड़े सर्दियों के लिए अपने भोजन का भंडारण कर रहे थे। पक्षी पत्तियों से गिरे बीज उठा रहे थे,
एक घने जंगल में, दो उल्लू एक पुराने पेड़ की मोटी डाल पर आ बैठे। दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार को पकड़े हुए थे। पहले उल्लू के मुँह में एक फुफकारता हुआ साँप था, जो उसके सुबह के नाश्ते के लिए लाया गया था।
जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था।
ज्ञान का बंटवारा - किसी जमाने में जंगल के जानवर बेहद भोले-भाले और अज्ञानी थे। उन्हें न तो सही तरीके से अपना पेट भरने की समझ थी और न ही मुसीबत में अपनी जान बचाने की कला। शिकारियों के जाल में फंसकर वे अपनी जान गंवा बैठते थे।
जंगल में टिंकू नाम का एक शरारती खरगोश रहता था। टिंकू हमेशा अपनी शरारतों के लिए मशहूर था और नन्हे जानवरों को तंग करना उसकी आदत बन चुकी थी। एक दिन टिंकू ने मुर्गी के छोटे बच्चे को आवाज लगाई
एक बार की बात है, हरे-भरे जंगल में एक छोटा सा खरगोश, जिसका नाम चीकू था, अपने माता-पिता के साथ रहता था। चीकू बहुत आलसी था। वह हमेशा अपनी मम्मी-पापा के कहने पर भी काम करने से कतराता। हर बार मम्मी उसे समझातीं,