ज्ञान देती एक कहानी : जीवन की सब से प्रथम गुरु हमारी माँ है ज्ञान देती एक कहानी : बेटे राजीव के एमबीए परीक्षा का रिज़ल्ट आने वाला था। सुबह से मां इंतज़ार कर रही थी कि कब बेटा परीक्षा परिणाम लेकर घर आए। माँ ने उपवास भी रख लिया और भगवान के सामने मन्नत भी मांग ली कि अगर बेटा अच्छे नंबरों से अपनी एम बी ए की परीक्षा पास कर ले तो वो और तीन दिन का उपवास रख लेगी। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 16:34 IST in Stories Moral Stories New Update ज्ञान देती एक कहानी : बेटे राजीव के एमबीए परीक्षा का रिज़ल्ट आने वाला था। सुबह से मां इंतज़ार कर रही थी कि कब बेटा परीक्षा परिणाम लेकर घर आए। माँ ने उपवास भी रख लिया और भगवान के सामने मन्नत भी मांग ली कि अगर बेटा अच्छे नंबरों से अपनी एम बी ए की परीक्षा पास कर ले तो वो और तीन दिन का उपवास रख लेगी। कुछ ही देर में राजीव घर आ गया। माँ उसे देखते ही शर्बत बनाने रसोई की ओर दौड़ी। पिता यह जानकर बहुत खुश हुए कि उनके बेटे ने अच्छे नंबरों से एमबीए पास किया है। उन्होने जोर से राजीव की माँ से बेटे के अच्छे रिज़ल्ट के बारे में बता दिया। मां जल्दी से शर्बत का ग्लास लेकर बाहर आई और बेटे को ग्लास थमाते हुए उत्सुकता से बोली " बेटा, जरा रिज़ल्ट तो दिखाओ, मैं भी तो जरा देखूँ मेरे बेटे के कितने नंबर आएं?" इसपर बेटे ने, अपनी उपलब्धि पर गर्व करते हुए, अपनी माँ को रिज़ल्ट का कागज तो दे दिया, लेकिन मज़ाक में चिढ़ाते हुए कहा, "माँ, यह अंग्रेजी में है। आप क्या खाक इसे पढ़ सकेंगी? " यह सुनकर मां की आंखों में आंसू भर आए, लेकिन वह खामोश रहीं। पिता ने अपनी पत्नी की उदासी को देखा और अपने बेटे को करीब बिठा कर उसे बताया, " बेटा, तुम्हें मालूम नहीं है कि जब तुम माँ की कोख में थे, उस समय हम बहुत गरीब थे, मैंने तुम्हारी माँ से कहा था कि अभी हमें यह बच्चा नहीं चाहिए, डॉक्टर के पास जाकर इसे नष्ट कर देते हैं लेकिन तुम्हारी माँ बिल्कुल नहीं मानी। शायद वो अनपढ़ है, इसलिए नहीं मानी और इसलिए तुम इस पृथ्वी में आ पाए। वो अनपढ़ थी इसलिए उन्होने दिन रात कपड़े सी कर पैसे बचाए ताकि तुम्हें दूध, दही की कभी कमी ना रहे। जब तुम चार साल के हुए तो तुम्हारी इस अनपढ़ माँ ने जिद करके गांव के सबसे अच्छे स्कूल में तुम्हारा दाखिला करवाया और सुबह 5 बजे उठकर नाश्ता बनाकर तुम्हें समय पर स्कूल पहुंचाती थी। दोपहर को घर का पूरा काम निपटाकर बिना आराम कि तुम्हें स्कूल से लाने जाती थी। तुम्हें सबसे अच्छे कॉलेज और ट्यूशन क्लास में दाखिला मिल सके इसलिए तुम्हारी माँ ने सिलाई के साथ साथ अचार पापड़ बनाने का काम भी दिन रात किया। ज्ञान देती एक कहानी जब तुम कभी बीमार पड़े तो तुम्हारी इसी अनपढ़ माँ ने पूरी रात जाग कर तुम्हारी देखभाल की और अगले दिन फिर सिलाई, अचार, पापड़ में लग गयी । तुम्हारी अनपढ़ माँ ने कभी महंगी साड़ी, गहने नहीं खरीदे ताकि तुम्हें तुम्हारी पसंद के महंगे कपड़े खरीद सके। उन्होने खुद अपनी हाथों से तुम्हारे पसंद के कपड़े सिले। तुम्हारी माँ अनपढ़ है इसलिए उन्होने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया जैसे तुम्हें बोलना सिखाया, चलना सिखाया, दुनिया को पहचानना सिखाया, तुम्हें भाषा सिखाई। तुम खेल कूद में भी आगे रहो इसलिए तुम्हारी माँ ने तुम्हारे लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की। तुम जब परीक्षा की तैयारी में देर रात जागते थे तो तुम्हारी यही अनपढ़ँ माँ भी तुम्हारे साथ रात जागकर तुम्हें दूध, चाय देती रहती थी। तुम्हारी माँ अनपढ़ है इसलिए मेरी कमाई और अपनी कमाई से रोज थोड़े थोड़े पैसे बचाकर तुम्हारे लिए मोबाइल, टैब्लेट खरीदने की व्यवस्था करती रही। तुम्हारी माँ अनपढ़ है , अंग्रेजी पढ़ लिख नहीं सकती लेकिन उन्होने तुम्हें पढ़ाने लिखाने के लिए अपना पूरा जीवन दाव पर लगा दिया।" यह सब कहकर राजीव के पिता चुप हो गए। लेकिन राजीव की आंखों में आंसू आ गए और उसने अपनी माँ के चरण छूते हुए कहा , " माँ, मुझे माफ कर दीजिए। मैं भूल गया था कि हर इंसान का पहला गुरु उसकी माँ ही होती है। हर घर की माँ, भले ही स्कूल कॉलेज ना गई हो, भले ही उसे लिखना पढ़ना भी नहीं आता हो लेकिन वो अपने बच्चे के लिए एक गुरु, शिक्षिका, डॉक्टर, एक उत्तम शेफ, सर्वश्रेष्ठ डिज़ाइनर और एक कोच होती है। मां के सामने मेरी शिक्षा, विधा और बुद्धि सब बौनी हो जाती है।" यह सुनते ही माँ ने अपने बेटे को प्यार से गले लगा लिया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि माँ का अपने बच्चे के प्रति निस्वार्थ प्यार और समर्पण, किसी भी उच्च शिक्षा और सामाजिक मानदंडों से परे होता है। और पढ़ें : बाल कहानी : लालच हर मुसीबत का जड़ है ★सुलेना मजुमदार अरोरा ★ #Best Hindi Kahani #Bal kahani #Moral Stories You May Also like Read the Next Article