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प्रेरणा का स्रोत हैं कोनोसुके मात्सुशिता
Public Figure: प्रेरणा का स्रोत हैं कोनोसुके मात्सुशिता:- सोते हुए सपने देखने से, सपने पूरे नहीं होते, हमें जागते हुए सपने देखना चाहिए। ऐसे ही एक बच्चा था जो जागकर सपना देखता था। नाम था उसका, कोनोसुके मात्सुशिता, जिसका जन्म 1894 में जापान के वाकायमा प्रांत में एक अच्छे घराने में हुआ था। माता पिता चाहते थे कि बेटे का लालन पालन बहुत अच्छी तरह से हो लेकिन जब कोनोसुके सिर्फ पाँच वर्ष के थे तो उनके परिवार पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। 1899 में कोनोसुके के पिता को अचानक बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचा और उन्हें अपना घर बार सब बेचना पड़ा। ऐसे में दर दर भटकते हुए वे गांव से दूर आ गए। (Lotpot Personality)
नन्हा कोनोसुके मात्सुशिता उस समय तक नौ वर्ष का हो गया था। पढ़ाई तो छूट ही गई थी, अब वो परिवार की...
नन्हा कोनोसुके मात्सुशिता उस समय तक नौ वर्ष का हो गया था। पढ़ाई तो छूट ही गई थी, अब वो परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए एक दुकान में काम करने लगा। सुबह सूरज उगने से पहले वो उठ जाता और दुकान की सफाई करने से लेकर दुकान मालिक के घर के काम भी करता और उनके बच्चों को भी नहलाने, खिलाने की जिम्मेदारी पूरी करके फिर दिन भर दुकान सम्हालता था। इतनी मेहनत के बावजूद, दुकान ना चलने के कारण, उसे निकाल दिया गया। काम की तलाश करते करते आखिर उसे ओसाका इलेक्ट्रिक लाइट कम्पनी में नौकरी मिल गई। (Lotpot Personality)
यहाँ उनका मन लग गया, वो दिन रात इलेक्ट्रिक के सामानों के साथ खेलता रहता था और सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर बन गया। उन्हीं दिनों उसकी शादी भी हो गई। अब वो कुछ नया और बड़ा करना चाहता था। उसने एक दिन खुद दिमाग लगाकर एक इलेक्ट्रिक सॉकेट तैयार किया और बहुत उमंग के साथ कम्पनी के मालिक को दिखाया। लेकिन मालिक को वो सॉकेट पसंद नहीं आया और उसने रिजेक्ट कर दिया लेकिन कोनोसुके निराश नहीं हुआ। उसने 1917 में ओसाका इलेक्ट्रिक लाइट कम्पनी की नौकरी छोड़ दी। उसका सपना था कि वह खुद कोई छोटी सी कम्पनी शुरू करे, लेकिन उसके पास ना पैसे थे और ना प्रशिक्षण, फिर भी अपनी बुद्धि और अनुभव से उसने घर के बेसमेंट में एक दुकान लगाया। यह देखकर उसके दोस्तों ने कोनोसुके की खूब हँसी उड़ाई लेकिन परिवार ने उसका साथ दिया। (Lotpot Personality)
कोनोसुके ने दिन रात मेहनत से अपने प्रॉडक्ट्स के सैंपल तैयार किए और थोक विक्रेताओं के पास जा-जा कर सॉकेट बेचने की कोशिश की लेकिन सबने उसे रिजेक्ट कर दिया। धीरे धीरे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी, घर के सामान बिकने लगे, फिर भी कोनोसुके निराश नहीं हुआ और हिम्मत भी नहीं हारी। फिर एक दिन अचानक उसे एक हजार सॉकेट का ऑर्डर मिल गया। इसके बाद उसने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते देखते कोनोसुके द्वारा बनाए प्रोडक्ट्स की दुनिया भर में माँग बढ़ने लगी और उसकी वो छोटी सी कम्पनी एक विशाल कम्पनी बन गई। जानते है वो कौन सी कम्पनी है? वो है पैनासोनिक कम्पनी।
आज पैनासोनिक कम्पनी का टर्न ओवर बिलियन डॉलर्स से ज्यादा है। कोनोसुके मात्सुशिता ने दुनिया को यह सीख दिया कि अपने पर विश्वास रखने से कामयाबी मिलती है। (Lotpot Personality)
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